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आगरा: जी, हां बंदरों को पकड़ने और बाहर छोड़ने के लिए वन विभाग की अनुमति नहीं लेनी होगी. वन विभाग ने बंदरों को वन्य जीव एक्ट से बाहर कर दिया है. ऐसे में शहरी सीमा में नगर निगम को पूर्ण अधिकार दिए गए हैं. ग्राम पंचायत, नगर पंचायत और नगर पालिका में उनकी सरकारें बंदरों को हटाने का निर्णय ले सकती हैं. ब्रज को करीब एक लाख बंदरों से निजात मिलने वाली है. वन विभाग की अनुमति का कोई पेच नहीं फंसेगा.
जिले के शहर हों या गांव. सभी बंदरों के आतंक से परेशान हैं. गली कूचों में बंदरों के झुंड हमलावर होकर लोगों को घायल कर रहे हैं. ताजनगरी के रावतपाड़ा, बेलनगंज, जीवनी मंडी, किनारी बाजार, कसेरट बाजार, केचेरी घाट, फव्वारा, एसएन मेडिकल कॉलेज, लेडी लॉयल, पुलिस लाइन, कलक्ट्रेट, सदर तहसील, केदार नगर, शाहगंज, सिकंदरा, बोदला, बल्केश्वर, जयपुर हाउस, भरतपुर हाउस, कमला नगर, दयालाबाग, रामबाग, फतेहाबाद रोड की पॉश कॉलोनी व मुहल्ले भी लोहे की जालियों में कैद हैं. आलम ये है कि बंदरों की दहशत से बच्चों ने बाहर खेलना बंद कर दिया है. महिलाएं हाथों में डंडा लेकर घरों के बाहर निकल रही हैं. कलक्ट्रेट लोहे की जालियों में बंद है. पुलिस का रिकार्ड भी बंदर फाड़ चुके हैं. दस से अधिक लोग बंदरों के कारण जान गंवा चुके हैं. सराफा बाजार में बंदर सीसीटीवी के तार काट देते हैं. लाखों रुपये का नुकसान अभी तक हो चुका है. निगम ने दस हजार बंदरों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराने की अनुमति वन विभाग से मांगी थी. पायलेट प्रोजेक्ट की तर्ज पर महज 500 बंदरों की अनुमति मिली थी. नगर निगम ने वाइल्ड लाइफ एसओएस को जिम्मेदारी सौंपी थी. एसओएस ने ताजमहल से बंदरों को पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगाए थे. लेकिन, इससे भी राहत नहीं मिली.
दिसंबर-2022 में बंदरों को वन्य जीव एक्ट से हटाने की पहल शासन स्तर से शुरू हुई थी. अप्रैल-2023 में इसे लागू कर दिया गया. अब बंदरों को पकड़ने और छोड़ने के लिए वन विभाग की अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं हैं. ध्यान रहे कि बंदरों को हटाने में उन्हें कोई शारीरिक हानि न हो.
आदर्श कुमार, डीएफओ सामाजिक वानकी
बंदरों को पकड़ने व हटाने का कार्य नगर निगम के अधीन है. वन विभाग को एक पत्र लिखकर शहर के करीब उपयुक्त जंगल की जानकारी मांगी गई है. ताकि, शहर के बंदरों को पकड़कर वहां शिफ्ट किया जा सके. स्थान चिह्नित होते ही इन्हें हटाने की कार्रवाई तेज कर दी जाएगी.
डॉ. अजय कुमार सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, नगर निगम