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स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आयी बीजेपी सांसद की बेटी
![स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आयी बीजेपी सांसद की बेटी स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में आयी बीजेपी सांसद की बेटी](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/01/26/2477747-b1e470f07be39fe2281d20fdb4bd2c19.webp)
बदायूँ: रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को लेकर आपत्ति दर्ज कराकर विरोधियों के निशाने पर आये समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में बुधवार को उनकी बेटी और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद संघमित्र मौर्य सामने आयीं।
सुश्री मौर्य ने यहां पत्रकारों द्वारा उनके पिता से जुड़े इस विवाद को लेकर जब सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, "हम तो हर चीज को सकारात्मक दृष्टि से लेते हैं, जिनको आपत्ति हो रही है उन्हें सकारात्मक दृष्टि से देखना चाहिए। जो व्यक्ति भगवान राम में नहीं भगवान बुद्ध में विश्वास रखता हो, वह व्यक्ति भाजपा में पांच साल रहने के बाद भगवान राम में आस्था कर रहे हैं और भगवान राम में आस्था करने की वजह से ही रामचरितमानस को पढ़ा। हम सब स्कूलों से ही सीखते आ रहे है कि यदि कोई शक हो तो उसका क्लियर फिकेशन होना चाहिए ताकि आगे हमें किसी तरह की कोई दिक्कत न आए। "
उन्होंने कहा कि मेरे पिता जी ने रामचरितमानस को पढ़ा और उन्होंने अगर उस लाइन को कोट किया, तो शायद इसलिए कोट किया होगा हालांकि मेरी इस सम्बंध में उनसे बात नहीं हुई है, क्योंकि वह लाइन स्वयं भगवान राम के चरित्र के विपरीत है। जहां भगवान राम ने शबरी के झूठे बेर खाकर के जाति को महत्व नहीं दिया, वहीं पर उस लाइन में जाति का वर्णन किया गया है। उस लाइन को उन्होंने शंका की दृष्टि से कोट करके स्पष्टीकरण मांगा तो हमें लगता है, स्पष्टीकरण होना चाहिए। बहुत से विद्वान हैं और यह विषय मीडिया में बैठकर के बहस का नहीं है, हमें लगता है विश्लेषण का विषय है। इस पर विद्वानों के साथ बैठकर चर्चा होनी चाहिए। ताकि वह लाइन है तो उसका क्या अर्थ है? और उसका क्या मतलब है?
भाजपा सांसद से सवाल किया गया कि आपको यह नहीं लगता कि बार-बार कुछ बयान स्वामी जी के कुछ ऐसे विवादों में जाते हैं, कुछ वह ज्यादा एग्रेसिव हो जाते हैं । इस पर भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने कहा, "यह तो नहीं पता हमें विवाद में क्यों आते हैं।शायद उसका रीजन एक यह भी हो सकता है कि हम ताड़ के बैठे हों कि ये कुछ भी बोलें और हम इन पर हमला करें। हमने आपसे अभी पूर्व में भी कहा कि वह हमारे पिता हैं इसलिए मैं उनका बचाव नहीं कर रही हूं, बल्कि मैं कह रही हूं। कोई भी व्यक्ति किसी भी बात को बोलता है तो उसकी बात को जब तक हम पूरी तरह समझ न लें, हमें टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।"
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना एक अहम स्थान रखने वाले और बसपा से लेकर भाजपा और अब सपा से राजनीति करने वाले कद्दावर और पार्टी से विधान परिषद सदस्य श्री मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर आपत्ति दर्ज की तो चारों और चर्चा होने लगी और वह अपने विरोधियों के निशाने पर आ गए।