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न्यूज़ क्रेडिट: आज तक
शिवलिंग को लेकर हुई सुनवाई
वाराणसी। वाराणसी में श्रृंगार गौरी की पूजा को लेकर शुरू हुई अदालती लड़ाई इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी से जुड़ी दो याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा से जुड़ी याचिका के साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी में कमीशन की कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के मामले में सुनवाई की. जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की. इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई अब 5 दिसंबर को होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के साइंटिफिक सर्वे को लेकर दाखिल याचिका पर भी सुनवाई हुई. ज्ञानवापी में कमीशन की कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की अनुमति देने से निचली अदालत ने इनकार कर दिया था. निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई से जवाब मांगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई से पूछा है कि क्या बिना नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग की जा सकती है. एएसआई ने जवाब दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से समय मांगा है.
जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि गवाही नहीं हो सकती और आकार को बिना नुकसान पहुंचाए उसकी उम्र का निर्धारण किया जाना जरूरी है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी. गौरतलब है कि ज्ञानवापी में कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे कराए जाने की मांग को लेकर निचली अदालत में याचिका दाखिल की गई थी. 16 मई 2022 को कमीशन की कार्यवाही के दौरान कथित शिवलिंग बरामद हुआ था.निचली अदालत ने कार्बन डेटिंग की अनुमति देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी. निचली अदालत ने याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लेख किया था जिसमें यथास्थिति बनाए रखने की बात थी. निचली अदालत से कार्बन डेटिंग की अनुमति नहीं मिलनी तो याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से सिविल रिवीजन दाखिल की गई है. बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत ने श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा से जुड़े मामले में अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से वाराणसी की जिला अदालत में श्रृंगार गौरी मामले में आपत्ति दाखिल की गई थी. अंजुमन इंतजामिया कमेटी की आपत्ति जिला अदालत ने खारिज कर दी थी. इसके बाद जिला अदालत के फैसले को अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
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