उत्तर प्रदेश

अयोध्या जमीन घोटाले को लेकर हो रहा बड़ा खेल, भूस्वामी खतौनी लेकर घूम रहे, अवैध कब्जेदार बने करोड़पति

Renuka Sahu
11 Aug 2022 3:38 AM GMT
Big game happening over Ayodhya land scam, landowners are roaming around with Khatauni, illegal occupants become millionaires
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फाइल फोटो 

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर जमीनों को हथियाने का खेल अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर जमीनों को हथियाने का खेल अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है। खेल में वास्तविक भूस्वामी खतौनी लेकर घूम रहे हैं और अवैध कब्जेदार करोड़ों का सौदा कर कब्जा दूसरों के हवाले कर दे रहे हैं। सरयू विकास समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री पोर्टल तक की लेकिन कार्यवाही नहीं हुई।

कई खातों की फर्जी खतौनी बनाकर बेची जा रही है जमीनें
इस शिकायत में राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी की भी सूचना साक्ष्य सहित संलग्न की गई है लेकिन अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण शासन को गुमराह किया जा रहा है। मांझा जमथरा के खेवट संख्या एक में अक्षय बीबी के नाम से 1345 फसली व 1365 फसली के अभिलेखों में महज 11 बीघा 18 बिस्वा भूमि दर्ज थी। इसमें हेराफेरी कर इस खाते में छह सौ बीघा भूमि दर्ज कर दी गई है।
इसी तरह जमीन के कई खातों में हेराफेरी कर फर्जी खतौनी बनाई जा रही हैं और बैनामा कर जमीन की बाउंड्री कराकर कब्जा भी हस्तान्तरित कर दिया जा रहा हैं। इसी तरह खेवट संख्या 15 के गाटा संख्या एक व 57/ 460 में क्रमश: 78 व 25 बीघा जमीन है। इसकी भी फर्जी खतौनी बनाकर लाखों में जमीन बेच दी गई। बताया गया कि मांझा जमथरा में गाटा संख्या एक में 12 सौ बीघा जमीन है। जबकि गाटा संख्या 57 में दो हजार बीघा जमीन है। इस तरह के संयुक्त खातों के चलते भूस्वामी भटक रहे हैं।
जमथरा में आजादी के बाद से नहीं हुई चकबंदी, जमीनों की बदल गयी नवैय्यत
राम मंदिर से करीब दो सौ मीटर दूर मांझा जमथरा में आजादी के बाद से चकबंदी नहीं हुई है। इस बीच डूब क्षेत्र की नवैय्यत भी बदल चुकी है जिसके कारण भूमाफियाओं की पौ बारह है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से जमीनों के भाव आसमान छूने लगे है और बड़े-बड़े निवेशक जमीनों में निवेश कर रहे हैं। इनमें अधिकारी, राजनीतिज्ञ व व्यवसायी सभी शामिल हैं। खास बात यह है कि रामजन्मभूमि के बेहद करीब 12 सौ एकड़ का सर्वथा उपेक्षित मांझा जमथरा क्षेत्र जो आज भी अभिलेखों में डूब क्षेत्र है। इसके चलते अवैध कब्जेदारों और राजस्व अधिकारियों के गठजोड़ को कमााई का मौका मिल गया है।
राजघाट पर गोशाला की भूमि को लेकर भी अफसर कर रहे खेल
राजघाट पार्क के पीछे नमामि गंगे प्रोजेक्ट के पास गौशाला के नाम पर बनी सीमेंट की बाउंड्री से जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अफसर का नाम जुड़ा है। बताया गया कि पहले राजस्व कर्मियों ने नजूल भूमि पर उन्हें कब्जा देकर उनके बैनामे की भूमि को वहां स्थापित कर बाउंड्री करवा दी। अब बंधे के किनारे 110 मीटर सर्विस लेन व हरित पट्टी का प्रस्ताव बताकर राजघाट से गुप्तारघाट तक आठ किमी. तक खंभे लगाकर बिना नोटिफिकेशन जबरन प्रशासन ने नजूल बता दिया गया। वहीं नियम कानून को ताक पर रखकर बैनामे की चौहद्दी को दरकिनार कर मनमाने तौर पर दूसरे किसानों की जमीन का कब्जा दिलाने की कोशिशें जारी है।
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