उत्तर प्रदेश

बड़ा झटका: आकाशवाणी इलाहाबाद से छीने गए वित्तीय-प्रशासनिक अधिकार

Renuka Sahu
16 May 2022 2:18 AM GMT
Big blow: Financial-administrative rights snatched from All India Radio
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फाइल फोटो 

आकाशवाणी इलाहाबाद का लखनऊ में विलय किसी भी समय किया जा सकता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आकाशवाणी इलाहाबाद का लखनऊ में विलय किसी भी समय किया जा सकता है। इसके संकेत मिलने लगे हैं। वर्ष के शुरुआती दौर में जहां इस केंद्र से प्रसारित होने वाले विविध भारती के 17 घंटे के कार्यक्रमों में 13 घंटे की कटौती कर दी गई थी, वहीं अब अधिकार भी सीमित कर दिए गए हैं।

इसके तहत इलाहाबाद के वित्तीय और प्रशासनिक काम वाराणसी केंद्र को सौंप दिए गए हैं। इससे अब इलाहाबाद केंद्र की ओर से किसी भी कार्यक्रम के कवरेज और रिकार्डिंग के लिए पहले वाराणसी केंद्र से अनुमति लेनी पड़ रही है। इस आदेश के बाद यहां तैनात स्टेशन इंजीनियर और प्रोग्राम हेड समेत अन्य अफसरों के हाथ बंध गए हैं।
इलाहाबाद आकाशवाणी का अब किसी भी समय विलय किया जा सकता है। मीडियम वेव 292.4 मीटर यानी 1026 किलो हर्ट्ज में विविध भारती के एफएम चैनल 100.3 हर्ट्ज के विलय के बाद अब इस केंद्र के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार भी ले लिए गए हैं। यहां तैनात स्टेशन इंजीनियर देवेश कुमार श्रीवास्तव से वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार छीन लिए गए हैं।
वाराणसी के उपमहानिदेशक ने लिया चार्ज
आकाशवाणी इलाहाबाद के वित्तीय और प्रशासनिक कार्य अब वाराणसी में तैनात उप महानिदेशक अभियांत्रिकी राम भोग सिंह को सौंप दिए गए हैं। अधिकारों में कटौती कर दी गई है। अब वित्तीय और प्रशासनिक अनुभाग से जुड़े कामों के लिए वाराणसी केंद्र की अनुमति लेनी पड़ रही है।
हालत यह है कि प्रयागराज और आसपास के इलाकों में होने वाले किसी कार्यक्रम के कवरेज के लिए अगर आकाशवाणी की टीम को भेजना होगा तो इसके लिए भी पहले उप महानिदेशक अभियांत्रिकी की अनुमति लेनी होगी। कहीं आने जाने के लिए वाहन भी बिना वाराणसी केंद्र की अनुमति के बुक नहीं किए जा सकते। किसी भी तरह की खरीद-फरोख्त के लिए भी पहले उपमहानिदेशक की स्वीकृति लेनी होगी।
वित्तीय स्वीकृति के लिए ऐसी कई पत्रावलियां लंबित पड़ गई हैं।इससे काम प्रभावित हो रहा है। पता चला है कि आकाशवाणी के विलय की रणनीति के तहत ही ऐसा किया गया है। वाराणसी में तैनात उप महानिदेशक अभियांत्रिकी को कलस्टर हेड बना दिया गया है। इसके तहत उन्हें इलाहाबाद के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार सौंपे गए हैं।
आकस्मिक उद्घोषकों और कंपेयरों की रणनीतिक बैठक आजाद पार्क में आज
आकाशवाणी इलाहाबाद के विलय की रणनीति के विरोध में आकस्मिक उद्घोषक और कंपेयर सड़कों पर उतरेंगे। इसके लिए सोमवार की सुबह कंपनी बाद स्थित चंद्रशेखर आजाद प्रतिमा स्थल पर उद्घोषकों और कंपेयरों की बैठक होगी। इसमें प्रसार भारती के इस निर्णय के प्रतीकात्मक विरोध की रूपरेखा तैयार की जाएगी। इसके बाद आकाशवाणी इलाहाबाद के विलय का प्रस्ताव निरस्त करने के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को ज्ञापन भेजा जाएगा।
हजारों लोक कलाकारों का होगा नुकसान
आकाशवाणी से जुड़े कार्यक्रम प्रस्तोताओं की मानें तो इलाहाबाद केंद्र में स्थानीय स्तर पर बनने वाले दोपहर और शाम के कार्यक्रम अब यहां से प्रसारित नहीं होंगे। प्रयागराज सहित उत्तर प्रदेश के सभी केंद्रों के कार्यक्रम संयुक्त रूप से लखनऊ से ही प्रसारित किए जाने की तैयारी कर ली गई है। इलाहाबाद को हफ्ते में एक बार मौका मिलेगा और इससे कार्यक्रमों की संख्या बेहद कम हो जाएगी। यह बदलाव किसी भी समय हो सकता है। इससे प्रयागराज, कौशांबी, मिर्जापुर से वाराणसी, चित्रकूट, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, रायबरेली और आसपास के हजारों लोक कलाकारों का नुकसान होगा।
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