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उत्तर प्रदेश
भगत सिंह जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाया जाए - प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा
Kiran
29 Sep 2023 10:51 AM GMT
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लखनऊ: शहीद ए आजम भगत सिंह के 116 वें जन्मदिवस का आयोजन ढ़ाई आखर प्रेम सांस्कृतिक यात्रा आयोजन समिति लखनऊ की ओर से 28 सितम्बर को इप्टा कार्यालय, कैसरबाग, लखनऊ के प्रांगण में हुआ। कार्यक्रम दो सत्रों में था। पहला सत्र संवाद का था जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा ने की। उनका कहना था कि हमें भगत सिंह जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाना चाहिए। उनका व्यक्तित्व हमें चमत्कृत करता है। 23-24 साल की उम्र में उनके अंदर इतनी व्यापक और वैज्ञानिक समझ थी, वह विरल है। वे मुकम्मल सपना दे गए जिसमें समता व मानव गरिमा हो। आज धर्म, राष्ट्रप्रेम और अध्यात्म का विद्रूप रूप देख रहे हैं। ऐसे में हमें भगत सिंह वाले देश प्रेम की जरूरत है।
इस मौके पर आलोचक वीरेंद्र यादव का कहना था कि भगत सिंह के आदर्शों व सपनों की बात होती है। भारत के पारंपरिक समाज को आधुनिक बनाने का उनका सपना था। 'मैं नास्तिक क्यों हूं' तथा 'अछूतोद्धार' पर उनके लेख से नए व आधुनिक भारत के स्वप्न का पता चलता है। उन्होंने ईश्वर और धर्म का तर्क के साथ खंडन किया। वर्तमान में वैज्ञानिक चिंतन और तर्क-विवेक पर हमला है। दाभोलकर, कलबुर्गी आदि की हत्या की गई। सनातनी व वर्णाश्रमी व्यवस्था की ओर देश को धकेला जा रहा है। ऐसे में भगत सिंह और उनके विचार हमारे लिए दिन-दिन ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं।
जन संस्कृति मंच उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष कौशल किशोर ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के जितने भी नायक हैं, उनमें भगत सिंह सर्वाधिक प्रखर और क्रांतिकारी हैं। उनकी दिशा समाजवाद की है। उन्होंने शोषण के सभी रूपों का विरोध किया और इंकलाब को प्रतीक बनाया। गांधी जी का प्रतीक चरखा था। लेकिन आज बुलडोजर को प्रतीक बनाया गया है। नफरत व विभाजन को सामाजिक मूल्य बनाया जा रहा है। हत्यारे और बलात्कारी प्रतिष्ठित हो रहे हैं। ऐसे में ढाई आखर प्रेम की यात्रा ने गमछा को प्रतीक बनाया है। यह प्रेम भाईचारा और श्रम का संदेश देता है।
कथाकार शकील सिद्दीकी का कहना था कि भगतसिंह हिंसा के समर्थक नहीं थे। उन्होंने बम का दर्शन जैसा लेख लिखा। उनका सामाजिक परिप्रेक्ष्य था। ब्रिटिश राज द्वारा जो मजदूर विरोधी व जन विरोधी बिल लाया जा रहा था, उसके विरोध में उन्होंने असेंबली में बम फेंका। समय के साथ भगत सिंह के विचारों का महत्व बढ़ा है।प्रगतिशील लेखक संघ के प्रोफेसर सूरज बहादुर थापा का कहना था कि भगत सिंह हमारे आईकॉन हैं। वे युवा शक्ति और जागरण के प्रतीक हैं। उनके विचारों को युवाओं के बीच ले जाना होगा। उनका जन्मदिन हमारे लिए युवा दिवस है। इसी रूप में हमें आज के दिन को सेलिब्रेट करना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन जनवादी लेखक संघ के प्रांतीय सचिव नलिन रंजन ने किया। उन्होंने दुष्यंत के शेर सुनाये और ढ़ाई आखर प्रेम की सांस्कृतिक यात्रा के बारे में बताया कि अलवर राजस्थान से यात्रा शुरू हो गई है। यह सांस्कृतिक यात्रा का दूसरा चरण है। इस यात्रा में जन नाट्य मंच दिल्ली के कलाकार शामिल हैं। उन्होंने इसी थीम पर नाटक तैयार किया है जिसका वह यात्रा के दौरान मंचन करेंगे।
दूसरे सत्र की शुरुआत लिटिल इप्टा के कलाकारों के गायन से हुई। उन्होंने शायर ओमप्रकाश नदीम का गीत सुनाया - 'ढाई आखर प्रेम के पढ़ने और पढ़ाने आये हैं/हम भारत से नफ़रत का हर दाग़ मिटाने आये हैं'। इस टीम ने अमीर खुसरो का गीत - 'छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाइ के' भी सुनाकर समां बांधा।
इप्टा लखनऊ एवं अपराजिता (जज़्बा जीत का) ने क्रांतिकारी शायर एवं कवि शैलेन्द्र का गीत 'तू ज़िन्दा है तो ज़िंदगी की जीत में यकीन कर' प्रस्तुत किया। कबीर के पद भी गाकर सुनाया जिसके बोल हैं 'हिन्दू कहत , राम हमारा, मुसलमान रहमाना lआपस में दौऊ लडै मरत हैं, मरम कोई नहि जाना ll' शहजाद रिजवी ने भोजपुरी में गीत सुनाए। बुद्धप्रिय गौतम ने हबीब जालिब का नज़्म सुनाया। इस सत्र का संचालन इप्टा के प्रांतीय महामंत्री शहजाद रिजवी ने किया।
इस कार्यक्रम में लिटिल इप्टा की ओर से गरिमा सिंह, शिवी सिंह, बबिता यादव, सोनी यादव, पूजा प्रजापति, व आरती प्रजापति कलाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संयोजन सुमन श्रीवास्तव ने किया। इप्टा की गायन टीम में संध्या रस्तोगी, प्रो० सीमा सरकार, मिथु राय, प्रिती माथुर, पूजा श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, अमिता हजेला, राजेश श्रीवास्तव, सौरभ शुक्ला, हर्षित शुक्ला और तन्मय वासुदेव शामिल थे। वहीं हार्मोनियम पर कमलाकांत एवं तबले पर राकेश आर्या ने साथ दिया।
इस मौके पर नवीन जोशी , भगवान स्वरूप कटियार, कामरेड प्रेमनाथ, नाइश हसन, विमल किशोर, अवन्तिका सिंह, अशोक वर्मा, कल्पना पांडेय, फ़रज़ाना महदी, कलीम खान, ओमप्रकाश नदीम, सिम्मी अब्बास, ओम प्रकाश नूर, डा०वज़ाहत हुसैन रिज़वी, असगर मेंहदी, कवित्री चित्रा पंवार, मोहम्मद आसिफ, ट्रेड यूनियन नेता वी०के०सिंह , महिन्दर पाल , भारतेंदु कश्यप, राजू पांडे, मुख्तार अहमद, अशोक मिश्र, बबिता, रिज़वान अली, धर्मेन्द्र कुमार, आदियोग, अरविन्द शर्मा सहित शहर के लेखक, संस्कृतिकर्मी, कलाकार, बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे। इप्टा के राजेश श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
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