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बस्ती न्यूज़: निमोनिया से होने वाली बच्चों की मौत का प्रमुख कारण कुपोषण, गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं की पर्याप्त व्यवस्था न होना है. बचाव, रोकथाम व उपचार का सही तरीका अपना कर इस रोग से होने वाली मौत को कम किया जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग उपकेंद्रों व हेल्थ वेलनेस सेंटर पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को निमोनिया से बचाव व इलाज के लिए प्रशिक्षित कर रहा है.
एसीएमओ डॉ. एफ हुसैन ने बताया कि स्वास्थ्य के अच्छे एवं सुरक्षित व्यवहार को अपना कर बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता है. छह माह तक केवल स्तनपान व इसके बाद स्तनपान के साथ सम्पूरक आहार देने से निमोनिया रोग हो जाने पर उसकी गम्भीरता में कमी आएगी. प्रशिक्षक डॉ. आशुतोष शर्मा ने बताया कि निमोनिया की पहचान के लिए दो महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं. सांस का तेज चलना व छाती का अंदर की ओर धंसना. जिला प्रबंधक एनएचएम राकेश पांडेय, यूनिसेफ संस्था के डिविजनल हेल्थ कोआर्डिनेटर सुरेंद्र शुक्ला, मैटरनल हेल्थ कंसल्टेंट राजकुमार, डीसीपीएम दुर्गेश मल्ल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया.
क्या है निमोनिया
निमोनिया फेफड़ों की सूजन है. इसमें फेफड़ों की कुपिकाओं में मवाद भर जाती है, जिससे यह ठोस हो जाती है. निमोनिया को निचले श्वसन तंत्र के घातक संक्रमण या तीव्र श्वसन तंत्र संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है. बुखार, खांसी व सांस लेने में तकलीफ निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं.