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गले की हड्डी बन गया चहेता बाबू... दोहरी मुश्किल में फंसे साहब
बरेली।अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उपनिदेशक का चहेता बाबू ही अब उनके गले की हड्डी बन गया है। शासनादेश के खिलाफ अपने कार्यालय में उसकी संबद्धता के बारे में उनका जवाब सीडीओ ने खारिज कर दिया है। उनसे वह विभागीय आदेश मांगा है, जिसके तहत उससे मुख्यालय पर काम लिया जा रहा था।
उधर, अब डीएम ने भी एडीएम/नोडल अधिकारी ऋतु पूनिया को जांच का निर्देश दे दिया है। इसके बाद उपनिदेशक दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं। जिस बाबू को सारे नियम-कायदे ताक पर रखकर अपने कार्यालय से संबद्ध कर लेने के मामले में उपनिदेशक को जवाब देना भारी पड़ रहा है, वह पिछले अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय में संविदा पर बतौर कंप्यूटर ऑपरेटर तैनात था और उससे छात्रवृत्ति पटल पर काम लिया जा रहा था।
इसी दौरान एक मदरसे के प्रबंधन ने रिश्वत लेते हुए उसके वीडियो के साथ शिकायत की थी। तत्कालीन सीडीओ चंद्रमोहन गर्ग ने इस शिकायत पर जांच और कार्रवाई का आदेश दिया। तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी योगेश पांडेय ने हेराफेरी कर कागजों में तो उसे छात्रवृत्ति पटल से हटा दिया गया लेकिन असल में उसी पटल पर काम लेते रहे।
बाद में बतौर बाबू शासन से उसकी तैनाती बहेड़ी के मदरसे में हो गई मगर फिर भी छात्रवृत्ति पटल पर ही जमा रहा। अमृत विचार में छपी खबर का संज्ञान लेते हुए सीडीओ जग प्रवेश ने उपनिदेशक से जवाब मांगा था। पूछा था कि किस आदेश के तहत मदरसे में तैनाती के बाद भी बाबू को मुख्यालय पर संबद्ध किया गया।
उपनिदेशक ने अपने जवाब में कहा कि बाबू मदरसे में ड्यूटी के बाद स्वेच्छा से मुख्यालय पर काम कर रहा था। इस जवाब को खारिज करते हुए सीडीओ ने दोबारा उनसे वह विभागीय आदेश मांगा है जिसके तहत बाबू को मुख्यालय पर संबद्ध किया गया।
अपने ही जवाब में उलझे उपनिदेशकः विभागीय सूत्रों के मुताबिक मदरसे का समय सुबह 8 से लेकर 3 बजे तक का है। आरोपी बाबू सेंथल में तैनात है जो जिला मुख्यालय से करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर है। ऐसे में मदरसे में ड्यूटी करने के बाद यहां आकर छात्रवृत्ति का पटल देखना मुमकिन ही नहीं है। लिहाजा उपनिदेशक अब अपने जवाब में ही उलझने लगे हैं। खुद विभागीय कर्मचारी कह रहे हैं कि विकास भवन कार्यालय के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे चेक करा लिए जाए तो साहब के दावे की हकीकत पता चल जाएगी।
मदरसे में ड्यूटी के बाद बाबू की इच्छानुसार उससे कार्यालय में दूसरे कामों मदद ली जाती है। सीडीओ को भेजे जवाब में यह स्पष्ट कर दिया है। विभागीय आदेश मांगेंगे तो वह भी उपलब्ध करा दिया जाएगा। - दिलीप कटियार, उप निदेशक/जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी