- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- Bareilly High Court:...
Bareilly High Court: यह जरूरी नहीं है कि यौन अपराध के हर मामले में पुरुष ही दोषी हो
![Bareilly High Court: यह जरूरी नहीं है कि यौन अपराध के हर मामले में पुरुष ही दोषी हो Bareilly High Court: यह जरूरी नहीं है कि यौन अपराध के हर मामले में पुरुष ही दोषी हो](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/06/26/3822011-symbolicimage1712018068.avif)
बरेली: हाईकोर्ट ने कहा है कि महिलाओं के प्रति यौन अपराधों से सम्बंधित कानून महिला केंद्रित है, मगर यह जरूरी नहीं है कि यौन अपराध के हर मामले में पुरुष ही दोषी हो. इस स्थिति में साक्ष्य प्रस्तुत करने का भार महिला और पुरुष दोनों पर होता है.
शादी का झूठा वादा कर दुष्कर्म करने के आरोपी को ट्रायल कोर्ट के बरी करने के फैसले को सही करार देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सीधा फार्मूला नहीं है जिससे यह तय किया जा सके कि पीड़िता से यौन सम्बन्ध की सहमति झूठे वादे पर ली गई या सम्बन्ध दोनों की स्वतंत्र सहमति से बने. यह हर मामले के तथ्यों के विश्लेषण से ही तय किया जा सकता है. आरोपी को बरी करने के आदेश के खिलाफ पीड़िता की अपील पर न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी व न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने अपील खारिज करते हुए यह निर्णय दिया.
मामला प्रयागराज के कर्नलगंज का है. पीड़ित युवती ने 2019 में आरोपी युवक पर शादी का झूठा वादा कर दुष्कर्म करने, एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य मामलों में केस दर्ज कराया था. एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत ने आठ फरवरी 2024 के आदेश से आरोपी को सभी गंभीर आरोपों से बरी कर दिया. केवल मारपीट के मामले में दोषी ठहराया है और छह महीने की सजा और एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया. इस आदेश के खिलाफ पीड़िता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की.ट्रायल कोर्ट के निर्णय और उपलब्ध साक्ष्य के अवलोकन से पता चला कि पीड़िता ने 2010 में एक व्यक्ति से विवाह किया था. दो साल बाद वह अपने पति से अलग हो गई. मगर पति से तलाक नहीं लिया. विवाह अभी भी कायम है. ऐसे में शादी का कोई भी वादा अपने आप में मानने योग्य नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि एक महिला जो पहले से शादीशुदा है. बिना तलाक लिए, बिना झिझक के वर्ष 2014 से 2019 तक पांच साल तक युवक से संबंध बनाए रखती है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मानने लायक नहीं कि एक महिला पांच साल तक तथा कथित शादी के झूठे वादे के बहाने पर संबंध बनाने की अनुमति देती रही. जबकि दोनों वयस्क हैं और वह विवाह पूर्व संबंध बनाने के परिणाम से वाकिफ हैं. ऐसे में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि उसके साथ दुष्कर्म या यौन उत्पीड़न किया गया. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आरोपी युवक को बरी करने के फैसले को सही मानते हुए अपील खारिज कर दी.
![Admindelhi1 Admindelhi1](/images/authorplaceholder.jpg?type=1&v=2)