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बरेली: आयुष्मान योजना के तहत इलाज करने वाले चिकित्सक का यूपी मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया में पंजीकरण अनिवार्य होने से 15 लाख से अधिक का क्लेम रिजेक्ट हो गया है. निजी अस्पतालों के 50 से अधिक क्लेम का भुगतान रिजेक्ट होने से मरीजों के सामने भी परेशानी आने लगी है. कई अस्पताल आयुष्मान योजना के पात्र मरीजों को भर्ती करने से ही बचने लगे हैं.
जिले में आयुष्मान योजना के तहत 3 लाख से अधिक मरीजों का इलाज हो चुका है जो प्रदेश में सबसे अधिक है. लेकिन इधर करीब दो माह से इसमें कमी आ रही है. दरअसल आयुष्मान योजना के तहत इम्पैनल्ड अस्पताल में मरीज का इलाज करने वाले चिकित्सक का यूपी एमसीआई में पंजीकरण होना अनिवार्य कर दिया गया है. अगर चिकित्सक का पंजीकरण नहीं है तो मरीज के इलाज के बाद भी अस्पताल को क्लेम का भुगतान नहीं किया जाएगा. बीते करीब डेढ़ माह में 50 से अधिक क्लेम रिजेक्ट हो गए हैं जो 15 लाख रुपये से अधिक की धनराशि है. आईएमए ने इस बाबत विभाग से भी संपर्क किया था.
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों का एमसीआई में है पंजीकरण शहर में अधिकांश बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों का पंजीकरण एमसीआई में है. कई विशेषज्ञ चिकित्सक ऐसे हैं जिनका यूपी एमसीआई में पंजीकरण नहीं है. दूसरी बड़ी समस्या यह है कि कई बार मरीज का आपरेशन करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक दिल्ली-मुंबई से भी आते हैं. जो यूपीएमसीआई में पंजीकृत नहीं है. ऐसे में उन मरीजों के इलाज का क्लेम ही रिजेक्ट हो जाएगा.
यूपीएमसीआई में चिकित्सकों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसा नहीं होने पर आयुष्मान के पात्र मरीज का इलाज करने के बाद भी क्लेम का भुगतान नहीं हो पाएगा. इस बाबत सभी इम्पैनल्ड अस्पतालों को जानकारी दे दी गई है. - डॉ. राकेश, एसीएमओ, आयुष्मान योजना नोडल अधिकारी
चौकी चौराहा स्थित प्राइवेट अस्पताल के कई क्लेम रिजेक्ट हो चुके हैं. आयुष्मान मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर का यूपीएमसीआई में पंजीकरण नहीं होने की वजह से भुगतान नहीं किया गया.