उत्तर प्रदेश

बांसगांव लोकसभा सीट करीब छह दशक से अनुसूचित जाति के लिए है आरक्षित

Admindelhi1
28 March 2024 5:09 AM GMT
बांसगांव लोकसभा सीट करीब छह दशक से अनुसूचित जाति के लिए है आरक्षित
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हैट्रिक लगा चुके हैं कमलेश पासवान

गोरखपुर: बांसगांव लोकसभा सीट करीब छह दशक से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर कभी बहुजन समाज पार्टी ने किला फतह नहीं किया. जबकि यहां से भाजपा और कांग्रेस की डबल हैट्रिक लगा चुकी है. सपा ने भी एक बार खाता खोला है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव से यहां भाजपा के कमलेश पासवान जीते आ रहे हैं. पार्टी ने उन्हें चौथी बार भी मैदान में उतारा है. इंडिया गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है. लेकिन कांग्रेस यहां से अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर सकी है.

आजादी के बाद कई चुनाव तक यहां कांग्रेस एकतरफा जीत हासिल करती रही. वर्ष 1957 में पहली बार यहां आम चुनाव हुए थे तब कांग्रेस के महादेव प्रसाद यहां से जीते थे. उन्होंने 1962 में यहां से दोबारा जीत दर्ज की. कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रहे महावीर प्रसाद यहां से चार बार 1980, 1984 और 1989 और 04 में सांसद बने थे. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1967 में मोलहू प्रसाद ने यहां से जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के ही रामसूरत प्रसाद ने 1971 में इस सीट पर पार्टी का परचम लहराया. इमरजेंसी के बाद 1977 में भारतीय लोक दल के उम्मीदवार विशारद फिरंगी प्रसाद यहां से चुनाव जीते.

1991 में पहली बार खिला था कमल कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली बांसगांव सीट पर पहली बार कमल 1991 में खिला था. राम मंदिर आंदोलन के दौर में यहां से राज नारायण पासी भाजपा के टिकट पर जीते. वह 1998 और 1999 में भी सांसद रहे. जबकि वर्ष 1996 में समाजवादी पार्टी की सुभावती पासवान यहां से सांसद रहीं. वर्ष 1998 और 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहीं. इसके बाद कभी भी समाजवादी पार्टी यहां पर अपनी दमदार मौजूदगी नहीं दिखा सकी.

हैट्रिक लगा चुके हैं कमलेश पासवान पिछले डेढ़ दशक से भाजपा यहां बेहद प्रभावी है. भाजपा के कमलेश पासवान यहां से हैट्रिक लगा चुके हैं. वे 09 से यहां लगातार सांसद बने हुए हैं. एक बार समाजवादी पार्टी का भी खाता खुला था. वर्ष 1996 में सुभावती पासवान यहां से समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद रही. वह भाजपा से सांसद कमलेश पासवान की मां हैं. पिछले दो चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे बसपा के सदल प्रसाद ने इस बार पाला बदल कर कांग्रेस का दामन थाम लिया है. वह टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि पार्टी में एक पूर्व सांसद और कुछ नए चेहरों ने भी टिकट की दावेदारी पेश की है.

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