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उत्तर प्रदेश
बनारसी ठंडई, तिरंगी बर्फी और लाल पेड़ा को मिलेगा जीआई टैग
Tara Tandi
10 Sep 2023 11:08 AM GMT
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बनारसी ठंडई, लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, म्यूरल पेटिंग, चिरईगांव का करौंदा, लाल भरवा मिर्च समेत उत्तर प्रदेश के 36 उत्पादों को जीआई टैग मिलने वाला है। चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में जल्द सुनवाई होगी। जीआई टैग मिलते ही इन उत्पादों का देश, विदेश में नाम होगा।
उत्पादों को वैश्विक बाजार मिलने लगेगा। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि अक्तूबर में सुनवाई पूरी होगी। बनारस के सात और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के ब्रास के स्टैच्यू, मथुरा की कंठी माला और सांझी आर्ट समेत 36 उत्पादों को जीआई टैग मिलेगा।
क्या है जीआई टैग
डॉ. रजनीकांत के अनुसार जीआई का मतलब ज्योग्राफिकल इंडिकेशन यानी भोगौलिक संकेत है। जीआई टैग एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। उत्पाद की विशेषता बताता है। यह दर्शाता है कि विशेष उत्पाद किस जगह बनता है या उसका उत्पादन कहां होता है।
ये फायदे
जीआई टैग के जरिये उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है। बाजार में उस नाम से दूसरा उत्पाद नहीं लाया जा सकता है। गुणवत्ता का पैमाना भी होता है। देश के साथ विदेशों में भी बाजार आसानी से मिल जाता है।
इन उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग
बनारसी साड़ी व ब्रोकेड, बनारसी जरदोजी, गुलाबी मीनाकारी, लकड़ी के खिलौने, ग्लास बीड्स, साॅफ्ट स्टोन जाली वर्क, हैंड ब्लॉक प्रिंट, वुड कार्विंग समेत मिर्जापुर के पीतल के बर्तन व हस्तनिर्मित दरी, भदोही की कालीन, निजामाबाद की ब्लैक पाॅटरी, गाजीपुर का वॉल हैंगिंग, चुनार का बलुआ पत्थर व ग्लेज पॉटरी, गोरखपुर का टेराकोटा क्राफ्ट।
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