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Badaun: महान चिकित्सक हफीज अहमद की कहानी आज भी है प्रेरणा का स्रोत
बदायूं: शहर के मोहल्ला सोथा के रहने वाले एक महान चिकित्सक हफीज अहमद की कहानी आज भी प्रेरणा का स्रोत है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस करने के बाद बदायूं में प्रेक्टिस शुरू करने वाले डाक्टर हफीज का मकसद सिर्फ समाज की सेवा करना था। उनकी दयालुता और सेवा भावना ने उन्हें बदायूं के लोगों के दिलों में बसा दिया। डाॅक्टर हफीज की फीस की कहानी ही उनकी दयालुता का प्रमाण है। वे शुरुआत में एक रुपया फीस लेते थे, काफी समय बाद तीस रुपये लेते थे, जो फीस नाम के लिए होती थी।। लेकिन खास बात यह है कि जरूरतमंद मरीजों से वे फीस नहीं लेते थे। दिनभर की कमाई में से आधे पैसे वे जरूरतमंदों के लिए अलग रखते थे। यह उनकी दयालुता का जीता जागता उदाहरण है।
डाॅक्टर हफीज हमेशा रिक्शे पर सवार होकर मरीजों को घर पर भी देखने जाते थे। उनकी सेवा और दयालुता ने उन्हें बदायूं के लोगों के दिलों में बसा दिया। वे अपने मरीजों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे, चाहे दिन हो या रात। उनकी सेवा भावना ने उन्हें एक आदर्श चिकित्सक बना दिया। डाक्टर हफीज की विरासत आज भी जीवित है। उनके पुत्र दानिश हफीज ने अलीगढ़ से बीयूएमएस करने के बाद अपने पिता की क्लीनिक की जिम्मेदारी संभाली है। डाक्टर दानिश हफीज ने कहा कि वे अपने पिता की राह पर चलते हुए समाज की सेवा करने की कोशिश कर रहे हैं।
उनका मकसद भी अपने पिता की तरह समाज की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि उनके पिता डाक्टर हफीज अहमद की कहानी यह सिखाती है कि सच्ची सेवा और दयालुता ही असली चिकित्सा है। उनकी विरासत आज भी बदायूं के लिए एक मिसाल है। उनकी दयालुता और सेवा भावना सभी के लिए एक प्रेरणा है। आज भी बदायूं के लोग डाक्टर हफीज को याद करते हैं और उनकी दयालुता को सलाम करते हैं।