उत्तर प्रदेश

अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा को एसटीएफ और पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया

Sonam
30 July 2023 9:32 AM GMT
अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा को एसटीएफ और पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया
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माफिया अतीक अहमद के वकील विजय मिश्र को शनिवार की रात एसटीएफ की मदद से पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है। पहले उन्हें हिरासत में लिया गया था। दरअसल, विजय मिश्र विभूति खंड स्थित एक नामी होटल में ठहरे थे। उनके खिलाफ दो महीने पहले तीन करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का मुकदमा प्रयागराज के अतरसुइया थाने में एक फर्नीचर व्यवसायी ने दर्ज कराया था। बताते हैं कि उन्हें इसी सिलसिले में पकड़ा गया है।

शनिवार को विजय मिश्र किसी काम से लखनऊ गए थे। रात करीब 11 बजे लखनऊ एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस की टीम ने उन्हें हिरासत में ले लिया। एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रयागराज पुलिस की ओर से विजय की गिरफ्तारी को लेकर मदद मांगी गई थी।

उसकी लोकेशन लखनऊ में होने की सूचना भी दी गई थी। इसके बाद ही उसे हिरासत में लेकर प्रयागराज पुलिस को सौंप दिया गया। उधर, विजय मिश्र के जूनियर अधिवक्ता हिमांशु कुमार ने बताया कि कुछ लोग इनोवा कार से आए थे। उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताया और फिर विजय को अपने साथ लेकर चले गए।

पुलिस के मुताबिक, विजय मिश्र पर तीन करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में 23 मई को अतरसुइया थाने में लकड़ी व्यवसायी सईद अहमद ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि उधारी के सवा लाख रुपये मांगने पर विजय ने उसे धमकी देते हुए रंगदारी मांगी थी। विजय पर विभिन्न जिलों में कुल सात मुकदमे दर्ज हैं।

अतीक के दूसरे वकील खान शौलत हनीफ ने पुलिस कस्टडी के दौरान आरोप लगाया था कि उमेश पाल के कचहरी से निकलने के दौरान विजय मिश्र ने अशरफ और असद को अपने फोन से इंटरनेट कॉल के जरिये सूचना दी थी। बताते हैं कि इसके बाद ही 24 फरवरी को अतीक-अशरफ के गुर्गो ने उसका पीछा किया और घर के बाहर उमेश पाल और उसके दो गनर को गोलियों से भून डाला था।

अतीक से रहा बेहद करीबी नाता

विजय मिश्र अतीक के भाई अशरफ के मुकदमे देखते था। कुछ मामलों में वह अतीक के भी कानूनी सलाहकार रहे, मुकदमे लड़े। विजय मिश्र को अतीक का बेहद करीबी माना जाता रहा है। चर्चा यह तक थी कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद साबरमती जेल में बंद अतीक का जो ऑडियो वायरल हुआ था, उसमें बात विजय मिश्र से ही हो रही थी। इसमें दावा किया गया था कि उमेश पाल हत्याकांड अभी नहीं कराना चाहिए था, क्योंकि उस वक्त विधानसभा का सत्र चल रहा था।

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