उत्तर प्रदेश

जिले में इस समय हेपेटाइटिस बी के कुल 250 मरीज

Admin Delhi 1
8 Oct 2022 10:37 AM GMT
जिले में इस समय हेपेटाइटिस बी के कुल 250 मरीज
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मेरठ न्यूज़: शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर कई तरह की बीमारियां इंसान को जकड़ लेती है इनमें कई ऐसी बीमारियां भी है जिनसे ग्रस्त होने के बाद मरीज का इलाज पूरी जिंदगी चलता है। ऐसी ही बीमारी है हेपेटाइटिस बी (काला पीलिया) जिसके वायरस ने एक बार शरीर में प्रवेश कर लिया तो उसका इलाज पूरी जिदगी चलता हैं। इस दौरान मरीज का समय समय पर टेस्ट कराया जाता है और उसी के मुताबिक उसे दवाइयां दी जाती हैं। जिले में इस समय कुल 250 मरीज है जो इस बीमारी से ग्रस्त है और इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जिनका इलाज जिला अस्पताल में चल रहा हैं।

एचआईवी के बाद दूसरी गंभीर बीमारी: हेपेटाइटिस बी एक गंभीर बीमारी है जो इंसान के लीवर को खत्म करती हैं। इसे एचआईवी के बाद दूसरी सबसे खतरनाक बीमारी की श्रेणी में रखा गया है। एक बार इसका वायरस शरीर में प्रवेश कर जाए तो वह नष्ट नहीं होता। इसकी चपेट में आने वाला मरीज लगातार कमजोर होता जाता है और अंत में उसकी मौत होना तय है। जिला अस्पताल में सप्ताह के दो दिन हेपेटाइटिस बी के मरीजों के लिए ओपीडी मंगलवार व गुरुवार को होती है। इसके साथ ही जिला अस्पताल में हेपेटाइटिस बी के मरीजों के लिए हेल्पलाइन नंबर 7455042264 जारी किया गया है जिसपर मरीज चौबीसों घंटे सातों दिन बीमारी को लेकर सलाह ले सकता है। प्यारेलाल जिला अस्पताल में इस समय 250 मरीजों का इलाज चल रहा है जो हेपेटाइटिस से ग्रस्त हैं। जिला अस्पताल के डाटा मेनेजर अब्बास ने जानकारी दी छह माह पहले इस बीमारी का कोई मरीज नहीं था, लेकिन पिछले छह माह में ही अबतक 250 मरीजों में हेपेटाइटिस बी का वायरस पाया गया है। जो बेहद चिंताजनक हैं। इस बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिसको लेकर केन्द्र सरकार भी लगातार सावधानियां बरतने के लिए गाइडलाइन जारी कर रही है।

जिला अस्पताल में मुफ्त जांच की सुविधा: जिला अस्पताल में हेपेटाइटिस बी की जांच मुफ्त कराने की सुविधा है। जबकि बाहर निजी लैबों पर इसकी जांच के लिए चार से पांच हजार रुपये लिये जाते हैं। इसका इलाज भी जिला अस्पताल में बिल्कुल मुफ्त है। जबकि बाहर से इसकी दवा खरीदनें का खर्च करीब 40 हजार रुपये हर महीने का आता हैं।

ऐसे होता है हेपेटाइटिस बी: जिला अस्पताल में हेपेटाइटिस विभाग के नोडल अधिकारी डा. अंकित कुमार का कहना है हेपेटाइटिस बी व सी एक वायरस से होने वाली बीमारी है जो इंसान को अंदर से खोखला कर देती है। इन दोनों बीमारियों के मरीजों में वायरस शरीर में प्रवेश करने के कई जरिए है। असुरक्षित यौन संबध बनाना, इंफेक्टिड सिरिंज का प्रयोग, इंफेक्टिड खून चढ़ने से, डायलिसिस वाले मरीजों को, किसी दूसरे का टूथब्रश प्रयोग करने से, दांतों के झोलाछाप डाक्टरों के औजारों से, कान साफ करने वाले लोगों से, पेट में पल रहे बच्चे को उसकी मां से भी यह रोग होने का खतरा बना रहता हैं। इसकी जांच होने के बाद जो रिपोर्ट आती है उसके मुताबिक ही मरीज का इलाज किया जाता है। हर मरीज के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अलग होती हैं। प्रत्येक मरीज को दवा दी जाए यह जरूरी नहीं है, लेकिन यह निर्भर करता है मरीज की इम्यूनिटी पर। जिन मरीजों में हेपेटाइटिस बी है उनकी समय समय पर जांच कराई जाती है। लेकिन जिन मरीजों की दवा बंद करने की नौबत आती है ऐसे मरीजों की संख्या महज एक या दो प्रतिशत ही होती हैं। इस बीमारी की वैक्सीन उपलब्ध है, यदि वह ली जाए तो इससे आसानी से बचा जा सकता है, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी है। जिस वजह से यह बीमारी फैल रही है।

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