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नोएडा न्यूज़: प्राधिकरण स्तर पर गठित समिति ने स्पोर्ट्स सिटी को लेकर जांच तेज कर दी है. समिति ने नियोजन विभाग से इस परियोजना का मूल नक्शा नियोजन विभाग से मांगा है. नक्शा देने में विभाग देरी कर रहा है. इसके अलावा इस परियोजना में नियमों के उल्लंघन के दौरान न्निगरानी नहीं करने पर भी नियोजन विभाग से जवाब-तलब किया गया है.
शहर के पांच सेक्टर की 346 हेक्टेयर जमीन वाली स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में हुई गड़बड़ियों की जांच जारी है. लोक लेखा समिति के निर्देश पर बनी जांच कमिटी ने जांच शुरू कर दी है. इस समिति को डेढ़ महीने से पहले जांच लेखा समिति को सौंपनी है. इसमें गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के नाम बताने हैं. अब समिति ने जांच शुरू की तो इसका मूल नक्शा नहीं मिल रहा है. मौखिक रूप से कई बार मांगने के बाद समिति ने अब लिखित रूप से मूल नक्शा नियोजन विभाग से मांगा है. यह नक्शा अगर मिलता है तो स्पष्ट हो जाएगा कि मौके पर किस तरह स्पोर्ट्स सिटी विकसित होनी थी. वहीं, दूसरी तरफ मूल भावना को दरकिनार कर किस तरह से ग्रुप हाउसिंग बसाई गई और खेल सुविधाएं, जो विकसित होनी थीं, उनको लेकर कोई निगरानी नहीं हुई. इसको लेकर भी जवाब मांगा गया है.
सबसे पहली स्पोर्ट्स सिटी परियोजना वर्ष 2008 में लाई गई थी. इसके बाद अलग-अलग हिस्सों में वर्ष 2013 तक इसका आवंटन हुआ. सेक्टर-78, 79, 101, 150, 152 में चार भूखंड आवंटित किए गए. शर्त यह थी कि बिल्डर 70 प्रतिशत हिस्से में खेल सुविधाएं, 28 प्रतिशत में आवासीय और दो प्रतिशत हिस्से में व्यावासायिक संपत्ति का निर्माण करेगा. इसी शर्त के आधार पर सस्ती दरों पर प्राधिकरण ने बिल्डरों को जमीन आवंटित की थी. हर भूखंड का मूल नक्शा भी उस समय बना था. इसके बाद मूल बिल्डर ने भूखंड के सब-डिवीजन कर उनको टुकड़ों में दूसरे बिल्डरों को बेचना शुरू कर दिया. एक-एक भूखंड के 24-24 टुकड़े कर दिए गए. टुकड़े करने के बाद प्रति भूखंड 30 प्रतिशत जमीन ग्रुप हाउसिंग और व्यावासायिक प्रयोग के लिए चिह्नित कर दी गई.
इस आधार पर नए नक्शे बने और ग्रुप हाउसिंग परियोजनाएं आईं. इस सब-डिवीजन और नए नक्शों को प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारियों ने मंजूरी भी दे दी. मौके पर ग्रुप हाउसिंग परियोजना विकसित होती रहीं, लेकिन खेल सुविधाएं विकसित नहीं हुई. सीएजी के ऑडिट में जब आठ हजार करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया तो नोएडा से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया. अब सीएजी की आपत्तियों पर लोक लेखा समिति आपत्तियों के निस्तारण को सुनवाई कर रही है.