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कानपूर: जमीन हड़पने और किसान को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने में नामजद होते ही मैनपुरी का पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. प्रियरंजन उर्फ आशू दिवाकर भूमिगत हो गया. उसने फोन बंद कर लिए. कानपुर में मुकदमा दर्ज होने की के बाद मैनपुरी की राजनीति में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. कुछ लोगों ने उससे बात करने की कोशिश की तो फोन नहीं उठाया. भाजपा खेमे में आशू पर दर्ज हुए मुकदमे की चर्चा है. लोग उसका पक्ष जानना चाहते हैं. पुलिस का कहना है कि पुलिस की दो टीमें बनाई गई हैं.
सपा ने मैनपुरी से बनाया था जिपं अध्यक्ष प्रियरंजन दिवाकर इस समय भाजपा में हैं और बाल कल्याण समिति का सदस्य है. 2007 में भाजपा से उसने किशनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. बाद में सपा ने उसे मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया. लेकिन वह सपा छोड़कर फिर भाजपा में शामिल हो गया. 2022 में उसने फिर से किशनी से ही भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गया.
मैं बेगुनाह, सबूत दूंगा
मैनपुरी के लोगों के फोन नहीं उठा रहे डॉ प्रियरंजन उर्फ आशू दिवाकर से देर शाम ‘हिन्दुस्तान’ की बात हो सकी. उन्होंने कहा कि मैं लखनऊ में हूं. भूमिगत होने की बात गलत है. बाबू सिंह यादव के परिवार के आरोप सच नहीं हैं. उनकी जमीन के सौदे से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. उनकी पांच बीघा जमीन का एग्रीमेंट मेरे ड्राइवर बबलू यादव ने 25 लाख रुपये में कराया था. मेरा इससे कोई मतलब नहीं था. करोड़ों रुपये बीघा की कीमत वाले चकेरी क्षेत्र में क्या पांच बीघा जमीन का एग्रीमेंट 25 लाख में संभव है, इस सवाल का उसने कोई जवाब नहीं दिया. कहा कि मैंने परिवार की बहुत बार मदद की. अब वे लोग क्यों आरोप लगा रहे हैं, इसका पता नहीं है. मैं कानपुर आकर अपनी बेगुनाही के सबूत दूंगा.