उत्तर प्रदेश

गोरखपुर रजिस्‍ट्ररी और RTO में भ्रष्‍टाचार के मामले में गिरफ्तारियां हुईं लेकिन आगे नहीं बढ़ पाई जांच, ये रही वजह

Renuka Sahu
14 Aug 2022 2:43 AM GMT
Arrests were made in Gorakhpur Registry and RTO in the corruption case but the investigation could not proceed, this was the reason
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फाइल फोटो 

उत्‍तर प्रदेश में दोबारा योगी सरकार बनने के महीने भर के अंदर ही गोरखपुर के डीएम ने दो सरकारी विभागों के कर्मचारियों सहित अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का दो केस दर्ज करवा कर हड़कम्प मचा दिया था।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उत्‍तर प्रदेश में दोबारा योगी सरकार बनने के महीने भर के अंदर ही गोरखपुर के डीएम ने दो सरकारी विभागों के कर्मचारियों सहित अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का दो केस दर्ज करवा कर हड़कम्प मचा दिया था। सीएम सिटी से पूरे प्रदेश में यह मैसेज देने की कोशिश हुई थी कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी।

एक केस निबंधन कार्यालय (रजिस्‍ट्री ऑफिस) से जुड़े भ्रष्टाचार पर कैंट थाने में कराया गया था तो दूसरा आरटीओ विभाग से जुड़े भ्रष्टाचार को लेकर शाहपुर थाने में हुआ था। दोनों केस में तत्कालीन सदर तहसीलदार ही वादी मुकदमा रहे। केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने दोनों मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया लेकिन अब यह फाइल को ठंडे बस्ते में चली गई है। आरोप है कि केस दर्ज कराने वाले तहसीलदार ही पुलिस का किसी तरह से सहयोग नहीं कर रहे हैं। विवेचक ने उन्हें चार बार चिट्ठी भेजकर बुलाया लेकिन वह आए ही नहीं।
नतीजा यह हुआ कि सबूतों और गवाहों के पेच में दोनों केस की विवेचना की रफ्तार धीमी पड़ गई। पुलिस के कई रिमाइंडर के बाद तहसीलदार ने अपने प्रार्थनापत्र को ही अपना बयान बताकर केस से खुद की दूरी बना ली। हालांकि उन्होंने स्टिंग सहित अन्य जो भी जानकारी दी है उससे जुड़े सबूत विवेचक के जरिये मांगे जा रहे हैं पर उनकी तरफ से कुछ भी नहीं मिल रहा है।
हाल यह है कि जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई उससे आगे यह दोनों केस बढ़ ही नहीं पाया। कैंट सीओ श्याम विंद ने अपने यहां दर्ज भ्रष्टाचार के केस में गिरफ्तार आरोपितों पर 11 जुलाई को चार्जशीट दाखिल कर दिया। वहीं जिनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है उनके खिलाफ उनकी विवेचना जारी है। यानी कहीं न कहीं सबूतों के अभाव में अन्य आरोपित पर चार्जशीट दाखिल नहीं हो पा रही है। उधर, आरटीओ से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में गोरखनाथ सीओ की विवेचना अभी जारी है, किसी अन्य आरोपित की गिरफ्तारी तो दूर घटना के दौरान पकड़ा गया होमगार्ड भी जमानत पर बाहर आ गया है।
अब जिस तरह से यह विवेचना चल रही है इसे देखते हुए अन्य आरोपितों को कभी भी क्लीनचिट मिल जाए इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि अफसरों का कहना है कि ऐसा नहीं होगा। आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सख्त कार्रवाई कराई जाएगी।
योगी सरकार 2.0 में गोरखपुर में हुए भ्रष्टाचार के केस
28 जून : पिपराइच थाने के ग्राम मौलाखोर निवासी शशि कुमार ने थाने में उपनिरीक्षक अतुल कुमार सिंह और सिपाही आकाश कुमार सिंह पर 28 जून को भ्रष्टाचार का केस दर्ज कराया है। पुलिसवालों पर पैसा लेने का आरोप में यह केस हुआ था।
14 जून : प्रभारी संयुक्त निदेशक अभियोजन अशोक वर्मा और ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी रणविजय सिंह पर कैंट पुलिस ने घूस लेने के मामले में 14 जून को भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 की धारा 3/7 के तहत केस दर्ज किया है। दोनों अधिकारियों पर बदमाशों की गैंगेस्टर की फाइल पर आपत्ति लगाने के बदले घूस लेने का आरोप है। पीड़ित की तरफ से घूस लेने का एक वीडियो भी पेश किया गया। इनका भी स्टिंग ऑपरेशन हुआ था।
27 अप्रैल : दिव्यांग प्रमाणपत्र बनाने के लिए घूस लेने वाला क्लर्क, गिरफ्तार
दिव्यांग प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर पांच हजार रुपये का घूस लेने वाले सीएमओ कार्यालय में तैनात क्लर्क सत्य प्रकाश शुक्ला के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने भ्रष्टाचार सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। सत्य प्रकाश शुक्ल की करतूत का दिव्यांग से स्टिंग कर लिया था और जिलाधिकारी के यहां उनकी शिकायत कर दी थी।
10 अप्रैल : रजिस्ट्री कार्यालय के उप निबंधक केके तिवारी तथा कार्यालय से जुड़े प्राइवेटकर्मी विजय कुमार मिश्र, अशोक उपाध्याय, जितेंद्र जायसवाल, राजेश्वर सिंह के खिलाफ केस कर एक आरोपित गुलरिहा के जंगल एकला नम्बर दो निवासी विजय कुमार मिश्र को गिरफ्तार कर लिया है वहीं अन्य की तलाश जारी है।
10 अप्रैल : शाहपुर पुलिस ने आरटीओ विभाग में तैनात होमगार्ड अर्जुन के खिलाफ नामजद वहीं चार-पाचं अज्ञात के खिलाफ केस किया है। स्ट्रिंग ऑपरेशन के तहत ड्राइवरी लाइसेंस सहित अन्य मदों के नाम पर पैसा लेते यह पकड़े गए हैं। होमगार्ड को गिरफ्तार कर लिया गया है पर अभी अन्य की गिरफ्तारी नहीं हुई।
वादी मुकदमा को बयान के साथ ही अन्य जुड़ी जानकारी के लिए कार्यालय में बुलाया गया लेकिन वह नहीं आए। चार से ज्यादा बार चिट्ठी लिखी गई। उनका जवाब आया कि उन्होंने जो तहरीर में लिखा है वही उनका बयान है। तहरीर से जुड़े तथ्यों के बारे में ही अन्य जानकारी के लिए बुलाया जा रहा है लेकिन वह नहीं आ रहे हैं इस वजह से विवेचना जारी है।
श्याम देव विंद, सीओ कैंट
मैं अपना बयान दे चुका हूं, मुझे नहीं पता कि पुलिस मेरा और क्या बयान चाहती है? मैंने जो रिपोर्ट दी है जिस पर एफआईआर हुई है वही मेरा बयान है यह मैं लिख कर भी दे चुका हूं। अब उस रिपोर्ट में स्टिंग से लेकर अन्य जो भी जानकारी है उसकी तलाश करना विवेचक का काम है। मेरी तरफ से किसी तरह का असहयोग नहीं किया जा रहा है।
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