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लखनऊ: कहीं बिना काम के ही भुगतान हो गया तो कहीं नियम का उल्लंघन कर पैसे का भुगतान हो गया तो कहीं पूरा खर्च ही बेकार हो गया. वर्ष 2012 से 2016 तक के कार्यकाल में नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेसवे आथरिटी में कई मामलों की पड़ताल कर सीएजी ने गड़बड़ी पकड़ी और पाया कि इन सबको गलत तरीके के भुगतान करा दिया. कुल मिलाकर औद्योगिक विकास विभाग को 2313 करोड़ 35 लाख 72 हजार आठ रुपये की चपत इन गड़बड़ियों के कारण लग गई.
सीएजी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण की ग्रुप हाउसिंग योजना के आवंटियों को स्वीकृत किए गए क्रय योग्य एफएआर 1.57 के स्थान पर निशुल्क 2.75 बिड के बाद अनुमन्य किया गया. इससे प्राधिकरण को 1102 करोड़ 24 लाख 34650 रुपये का भारी नुकसान हुआ.
इसी तरह नोएडा की आनंद बिल्डटैक कंपनी को काम शुरू होने के केवल 18 दिन बाद 5.10 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान कर दिया जबकि कंपनी ने कोई काम नहीं किया. भुगतान से पहले किसी बाहरी एजेंसी से सत्यापन तक नहीं कराया. नोएडा के सेक्टर 153 में ड्रेनेज एवं कलबर्ट के निर्माण पर 9 करोड़ 23 लाख 77 हजार रुपये का खर्च बेकार गया क्योंकि जमीन ही नहीं मिली और काम अधूरा छोड़ दिया गया. अधिकारियों की लापरवाही, बिना जमीन के काम शुरू करना व बिना सत्यापन के भुगतान करना जैसी तमाम गड़बड़ियां इन प्रधिकरणों में हुई. सेक्टर-135 में एचआईजी डयूप्लैक्स भवनों के साथ पटरियों में इंटरलाकिंग टाईल्स लगाने पर खर्च एक करोड़ 23 लाख 43187 रुपये आया. यह खर्च भवन की लागत में शमिल नहीं था. इस कारण प्राधिकरण को आर्थिक क्षति हुई.