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उत्तर प्रदेश
डीएम से पत्नी के अंतिम संस्कार की लगाई गुहार, रुपये मिलते ही बुजुर्ग फरार
Tara Tandi
8 Oct 2023 7:54 AM GMT
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पत्नी के अंतिम संस्कार का बहाना कर एक बुजुर्ग ने जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र से दो हजार रुपये ले उड़ा। जिलाधिकारी ने मानवता के नाते उसकी मदद की और अंतिम संस्कार का सामान दिलाने के लिए लेखपाल को उसके साथ भेजा, लेकिन बीच रास्ते में ही बुजुर्ग गायब हो गया। पूरे मामले की जांच की गई तो खुलासा हुआ कि बुजुर्ग ने जो पता बताया था उस नाम पर कोई नहीं रहता और न ही किसी की मौत हुई। यह मामला दिनभर चर्चा का विषय बना रहा।
दरअसल, शनिवार दोपहर के समय जिलाधिकारी अपने कार्यालय में लोगों की समस्याएं सुन रहे थे। इस दौरान एक बुजुर्ग(65) वहां पहुंचा और फफक-फफक रोने लगा। जिसने अपना नाम मवीकलां की कांशीराम कॉलोनी निवासी प्रकाश बताया।
कहा कि साहब, मेरी पत्नी फुल्ली (58) की बीमारी से मौत हो गई है, जिसका शव घर पर रखा हुआ है। एक बेटा था जो घर छोड़कर जा चुका है। अब मेरे पास इतने भी रुपये नहीं है कि उसका अंतिम संस्कार कर सकूं।
इस पर जिलाधिकारी ने मानवता का परिचय देते हुए तुरंत उसे दो हजार रुपये दिए। साथ ही कहा तहसीलदार अमित कुमार को निर्देश दिए कि लेखपाल को साथ भेजकर अंतिम संस्कार के लिए सामान दिलाओ। इसके अलावा किसी मद के माध्यम से तेहरवीं के दिन 10 हजार रुपये भी दिए जाएं।
श्मशानघाट में तलाशता रहा लेखपाल
जिलाधिकारी के निर्देश पर एक लेखपाल को बुजुर्ग के साथ अंतिम संस्कार का सामान दिलाने के लिए भेजा गया। कार्यालय से बाहर निकलने के बाद बुजुर्ग ने कहा कि आप सीधे श्मशान घाट पर मिल जाओ। लेखपाल बाइक पर था और बुजुर्ग साइकिल पर, जो हसनपुर चुंगी तक साथ था। इसके बाद बुजुर्ग रास्ते से गायब हो गया। लेखपाल पहले एक और दूसरे श्मशानघाट में जाकर बुजुर्ग को तलाश करता रहा, लेकिन कोई पता नहीं चला। लेखपाल कांशीराम कॉलोनी में उस पते पर पहुंचा जो बुजुर्ग ने बताया था। तब जाकर पता चला कि वहां इस नाम से कोई नहीं है और न ही किसी की मौत हुई है।
बुजुर्ग ने पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी थी। इंसानियत के नाते उसे दो हजार रुपये दिए गए थे और लेखपाल को सामान दिलाने के लिए साथ भेजा था। जब जांच पड़ताल की गई तो वह फर्जी निकला। जिसकी तलाश की जा रही है
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