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यूजर बनकर मोबाइल में डाउनलोड किए थे एप, जुटाए साक्ष्य
आगरा: साइबर सेल ने ऑनलाइन बेटिंग के लिए प्रयोग होने वाले छह हजार बैंक खाते व 18 हजार वर्चुअल (आभासी) एकाउंट भी फ्रीज कराए गए हैं. फ्रीज खातों में चार करोड़ से अधिक की रकम जमा है. फ्रीज कराए गए 6000 बैंक खातों में करोड़ों का लेन-देन हुआ है. पिछले करीब एक साल में इन खातों में 1600 करोड़ से अधिक का ट्रांजक्शन हुआ है. इनके ब्लॉक होने से ऑनलाइन बेटिंग फिलहाल बंद नहीं होगी. साइबर अपराधी हर सप्ताह एक नई वेबसाइट और एप बना लेते हैं. सभी विदेशी सर्वर पर संचालित होते हैं, इसलिए पूरा डाटा नहीं मिल पाता है.
पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि साइट और एप ब्लाक कराने का लाभ सिर्फ आगरावासियों को ही नहीं होगा. आगरा पुलिस ने देशभर के करोड़ों लोगों को ठगी का शिकार होने से बचाया है. पुलिस ने एक अनुमान लगाया कि विश्वकप तक कितने लोग इस साइट पर रकम लगाते. इसी के आधार पर यह दावा किया गया है कि करोड़ों के साथ विश्वकप तक ठगी हो जाती. एप और वेबसाइट के लिंक लोगों को भेजे जाते थे. पुलिस आयुक्त ने बताया कि जो छह हजार खाते फ्रीज कराए गए हैं वे यस बैंक, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, आईडीएफसी, साउथ इंडियन आदि बैंकों में खोले गए थे.
ऑनलाइन सट्टेबाजी पर कसा शिकंजा
विश्वकप से पहले ऑनलाइन सट्टेबाजी पर शिकंजे के लिए साइबर सेल डेढ़ महीने से जांच में जुटी थी. पुलिस कर्मी खुद बेटिंग साइट और एप पर यूजर्स बने. सब्सक्रिप्शन लिए. रकम लगाई. उसके बाद साक्ष्य जुटाए. साइबर सेल का दावा है कि ऑनलाइन बेटिंग एप में हर मिनट लाखों रुपये के दांव लगते हैं. एक मैच में देशभर में लोग करोड़ों के दांव लगा देते हैं. ग्राहकों की रकम ट्रांसफर करने के लिए जिन खातों का प्रयोग किया जाता था वह भी फर्जी आईडी पर खोले गए हैं. शातिर दूसरों की आईडी पर खाते खुलवाते थे.