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उत्तर प्रदेश
यूपी की कानून व्यवस्था पर अनुराग ठाकुर का दावा, कहा- हमने यूपी को भ्रष्टाचार और गुंडाराज से मुक्त किया, इस बार जीत का नया रिकॉर्ड बनाएंगे
Renuka Sahu
16 Feb 2022 4:57 AM GMT
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फाइल फोटो
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भारतीय जनता पार्टी के उन युवा और ऊर्जस्वी नेताओं में हैं, जो पार्टी की व्यूह-रचना में सक्रिय भागीदारी करते हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर भारतीय जनता पार्टी के उन युवा और ऊर्जस्वी नेताओं में हैं, जो पार्टी की व्यूह-रचना में सक्रिय भागीदारी करते हैं। उत्तर प्रदेश चुनावों में वे पार्टी के सह-प्रभारी भी हैं। अनुराग ठाकुर से विशेष संवाददाता ने लंबी बातचीत की। पेश हैं, संपादित अंश-
आप अभी उत्तर प्रदेश से लौटे हैं और वहां के सह चुनाव प्रभारी भी हैं। आपको क्या संभावनाएं लग रही हैं?
उत्तर प्रदेश में हमने पांच साल पहले गुंडाराज और भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने का वादा किया था। उस पर गंभीरता से काम किया। आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से माफिया जेल में हैं। सुरक्षा किसी भी देश और प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण विषय है। सुरक्षित रहेंगे तो शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार और कारोबार के अवसर भी मिलेंगे। निवेश भी आएगा, विकास भी होगा। हमने महिलाओं, व्यापारियों सभी की सुरक्षा की। इससे पांच सालों में बड़ा लाभ देखने को मिला। जहां 2017 से पहले उद्योग का पलायन होता था, अब चार लाख करोड़ का निवेश आया है। हमने केवल 70 लाख रोजगार-स्वरोजगार की बात की थी पर दिए चार-गुना से ज्यादा, यानी तीन करोड़। जो गरीब कल्याण के कार्य मोदी और योगी सरकार ने किए हैं, उससे बहुत बड़ा वर्ग उनको समर्थन करने के लिए खुलकर आगे आया है। सुरक्षा के साथ विकास हुआ है। उत्तर प्रदेश में सड़क, रेल, हवाईअड्डा, मेडिकल, पानी तक जो मूलभूत सुविधाओं का काम हुआ है। कुल मिलाकर यह कहूंगा कि 2017 और 2019 में उत्तर प्रदेश की जनता ने रिकॉर्ड वोट दिया था भाजपा को। इस बार फिर नया रिकॉर्ड बनाएंगे।
आप रिकॉर्ड की बात कर रहे हैं, जबकि आपका सीधा मुकाबला एक गठबंधन से है। इस गठबंधन ने वैसा ही सामाजिक इंद्रधनुष बनाया है जैसा आपने बनाया था। इससे क्या भाजपा को नुकसान होगा?
भाजपा के पास मोदी व योगी का ऐसा नेतृत्व है, जिनके ऊपर एक रुपये का कोई आरोप नहीं है। जिनके साथ उनका परिवार नहीं, पार्टी के लोग नहीं, उनके साथ प्रदेश की जनता क्यों खड़ी होगी? घोषणा पत्र जारी करते समय न परिवार के लोग थे, न पार्टी के लोग थे। इसलिए बड़ा प्रश्न चिन्ह दूसरी तरफ खड़ा होता है। मेरा मानना है उत्तर प्रदेश में बहुत समझदार लोग हैं। ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि कांग्रेस की छुट्टी यहां बहुत पहले से होनी शुरू हो गई थी। बबुआ और बुआ वाली सरकारों से भी जनता ने मुक्ति पाई है। हमारे पास प्रगतिशील व साख वाला नेतृत्व है। दूसरी तरफ भ्रष्ट और विपरीत सोच वाले। उनकी छवि कैसी है? मैं अखिलेश के बारे में एक बात तो जरूर कहना चाहूंगा कि वह सदैव जिम्मेदारी से भागते रहे हैं। चाहे पुत्र की, परिवार की, मुख्यमंत्री की या नैतिक जिम्मेदारी हो। जो जिम्मेदारियों से भागता है, उसको जिम्मेदारी देने का काम उत्तर प्रदेश की जनता नहीं करेगी।
बसपा और कांग्रेस दोनों इस चुनाव में बहुत असरकारी साबित होते नहीं दिख रहे हैं। इससे एक अर्थ यह निकलता है कि जनता सीधी लड़ाई देखना चाहती है। विपक्ष में अखिलेश चेहरा बनकर उभरे हैं?
चलिए, अगर मैं आपकी बात मान भी लूं तो इससे बड़ा अंतर क्या आएगा? ये लोग तुष्टिकरण की राजनीति तक सीमित हो गए हैं- बांटो और राज करो। जातीय समीकरण पर निर्भर रहते हैं, लेकिन 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से आज तक का कालखंड देख लीजिए। लगभग आठ साल पूरे होने को हैं। नौकरी की बात हो, सरकारी योजनाओं के लाभ की बात हो, यह नहीं देखा जाता कि कौन किस जाति या धर्म का है। 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास', इसी मूल मंत्र के साथ काम किया है। इसके सबसे बड़े लाभार्थी हैं अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अन्य गरीब, जिसमें हिंदू-मुस्लिम सब हैं लेकिन इनका वोट 70 सालों तक कौन लेता रहा? यही विपक्षी दल हैं जो गरीब, मुस्लिम, जाति के नाम पर वोट बटोरते थे। एक बड़ा वर्ग भाजपा के साथ इसलिए आएगा क्योंकि गरीब कल्याण के लिए इसने काम किया है। 43 लाख पक्के मकान, डेढ़ करोड़ बिजली के कनेक्शन, एक करोड़ 86 लाख उज्जवला योजना के तहत रसोई गैस के सिलेंडर, 15 करोड़ लोगों को महीने में दो बार मुफ्त राशन, 30 हजार से ज्यादा पंचायतों में हर घर नल से जल, पांच लाख का इलाज दिया।
इसीलिए शायद अखिलेश यादव ने पेंशन योजना, नि:शुल्क बिजली आदि की योजना घोषित की है। यह एक बड़े वर्ग को प्रभावित करती है। क्या आपको लगता है कि इससे आपको नुकसान पहुंचेगा?
मैं उन पर केवल हंस ही सकता हूं। पांच साल मुख्यमंत्री रहे। उनसे पहले मुलायम सिंह भी रहे। बहन मायावती जी भी रहीं, लेकिन 2017 तक वृद्ध, विधवा, निराश्रित महिला और दिव्यांग, इनको 300 रुपये महीने की पेंशन मिलती थी। योगी जी ने बढ़ाकर 1000 रुपये की। अब हम उसको 1500 रुपये करने वाले हैं। यानी साल में 18,000 रुपये। उनके राज में अधिकांश समय बिजली आती ही नहीं थी। जिनके समय होती थी बिजली गुल, वह क्या देंगे बिजली फुल! मुफ्त तो दूर की बात है।
आप इतने विश्वास में हैं, लेकिन चुनाव के पहले आप की पार्टी में भगदड़-सी हो गई थी। मंत्री छोड़ गए थे, विधायक छोड़ गए थे। इसको आप कैसे देखते हैं?
कुछ लोग ऐसे हैं जो हर पांच साल में नया स्वामी ढूंढते हैं। ऐसे स्वामी ढूंढने वाले वहां इस बार नहीं बच पाएंगे। वे, अपनी सीटें तो छोड़िए, जिला भी छोड़ कर चले गए। सपा में तो अपराधियों, हिस्ट्रीशीटर को टिकट दे रहे हैं। मुजफ्फरनगर से मऊ तक के दंगों की भी बात करें। जिनके दंगों में हाथ थे, उनके नाम समाजवादी पार्टी या उसके सहयोगी दलों की लिस्ट में हंै। मऊ के दंगों को लोग भूले नहीं है। झाड़ियों में जो दूध की बाल्टियां गिरी पड़ी थीं, उन्हें सब जानते हैं। मारने वाले कौन थे और उनका समर्थन आज कौन कर रहे हैं? इसलिए जो गए उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। आने वालों की संख्या देखिए, साहब। 55 से ज्यादा पूर्व मंत्री, एमएलसी, विधायक और केंद्रीय मंत्री तक भाजपा में आए गए।
आप अभी पूर्वी उत्तर प्रदेश की किसी पार्टी की बात कर रहे थे, आपका आशय किससे है?
राजभर जी। आज लोग कहते हैं कि वे 'पे रोल' पर हैं। किसी को बताने की जरूरत नहीं, स्वामी प्रसाद मौर्या नया स्वामी ढूंढने चले हैं।
आने-जाने वाले लोगों का दौर इधर तेजी से शुरू हुआ है। भाजपा के बारे में माना जाता है कि यह एक विचारधारा से प्रेरित पार्टी है। आप सब लोग काडर से आए हैं लेकिन अब आपकी पार्टी में भी एक मुख्यमंत्री तक बाहर से है। कई लोग हैं जो प्रदेश की सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। आपको नहीं लगता है कि इससे भाजपा की विचार धारा कमजोर पड़ती है?
कौन से आए हैं ?
असम के मुख्यमंत्री ही कांग्रेस में थे?
देखिए वे कांग्रेस में थे। ऐसे बहुत सारे मिलेंगे। अगर आप 1947 से देखेंगे तो अधिकतर लोग तो कांग्रेस छोड़कर ही आए हैं, लेकिन उन्होंने विचारधारा को अपनाया है। वे पांच साल पहले आ गए थे। पार्टी में काम किया है। मंत्री के नाते किया। आप किसी भी राज्य में देखेंगे, लोग भाजपा की विचारधारा पर ही चले हैं।
जब इतनी कल्याणकारी योजनाएं हैं, तो आप लोग काशी-मथुरा जैसे मुद्दे क्यों लाते हैं?
राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम आस्था के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर को बचाने, पर्यटन को बढ़ावा देने, दुनिया को भारत की जो ताकत है सांस्कृतिक विविधता की, उसे भी बताने का काम करते हैं। योग से लेकर सांस्कृतिक धरोहर तक मोदी जी की बहुत बड़ी देन है। काशी प्राचीनतम शहर है। उसको आधुनिकतम सुविधाएं देने का काम किया गया है। भव्य राम मंदिर के साथ अयोध्या धाम बनेगा तो लोग केवल मंदिर देखने ही नहीं आएंगे, मंदिर के साथ स्थानीय रोजगार-स्वरोजगार के बहुत सारे अवसर मिलेंगे। उसी तरह से कुशीनगर एयरपोर्ट से बौद्ध सर्किट पूरा होता है।
तो मथुरा एजेंडा में है न?
हम जो कहते हैं, करके दिखाते हैं। भाजपा ने कहा था मंदिर एजेंडा में था, करके दिया। काशी विश्वनाथ अगर नहीं था तो भी करके दिया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिफॉर्म का एक ड्रेस कोड बनाएंगे स्कूल के लिए। जो पुराना वादा है एक विधान का, उसे भाजपा पूरा करेगी क्या?
यह हमारे घोषणापत्र में है। हमने 2014 में सरकार बनाई। अनुच्छेद 370, 35 ए, राम मंदिर जैसी चीजों में समय लगता है पर वायदा निभाया। परिस्थितियों को देखकर निर्णय किए जाते हैं। 2019 के पहले छह महीने के काम देखिए। एनआरसी, सीएए, 370 व 35ए हटाने की बात हो या तीन तलाक से बहनों को निजात दिलाने की बात हो या अब बेटियों की शादी 18 से 21 वर्ष करना हो। हमने वह सब कर दिखाया, जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण होता है। 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' से भी महिलाओं का ही सशक्तिकरण होगा।
आपका नारा था सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। एक खास तबका अल्पसंख्यकों का है, जो असुरक्षित मानता है। उसका विश्वास कैसे जीतेंगे ?
विश्वास जीता है। देखिए बहुत प्रश्नचिन्ह खड़े हुए कि तीन तलाक से यह हो जाएगा, वह हो जाएगा। क्या हुआ सब ने मान लिया। महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल करने की बात है, तो सपा ने सबसे पहले खड़े होकर कहा क्यों बढ़ा दी, लेकिन मुस्लिम महिलाएं भी खुश हैं कि अपने पांव पर खड़ा होने का मौका मिलेगा। इससे महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ। जो हिजाब वाली बात करते हैं, वह आज भी चाहते हैं कि मुस्लिम बेटियों को खूंटे के साथ बांधकर रखा जाए। हम चाहते हैं बेटी बचाओ भी और बेटी पढ़ाओ भी और बेटी को आगे बढ़ाओ भी।
पत्रकारों के लिए जोखिम वाले देशों में भारत की गिनती निचले पायदान पर होती है। इसको आप कैसे देखते हैं?
किस संस्था की रिपोर्ट है? क्या साख है उसकी? क्या सैंपल साइज है? इसके ऊपर बहुत सारे प्रश्न चिन्ह खड़े हैं। भारत जैसा लोकतंत्र इतना 'वाइब्रेंट' बगैर मीडिया के हो ही नहीं सकता है। जो पूछना है पूछें, किसी पर रोक नहीं है। हम तो विपक्ष में थे तब भी सबसे बड़े समर्थक थे। आपातकाल के समय सबसे बड़ी भूमिका तो मीडिया ने ही अदा की। कांग्रेस के समय जैसा कुठाराघात मीडिया पर हुआ, उसके बाद मुझे नहीं लगता वह दिन कभी देखने को मिले और न ही मिलेंगे।
इधर पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के मुकदमों की संख्या बढ़ी है। क्या राजद्रोह बहुत आसान धारा है? केवल भाजपा शासित राज्य में नहीं, सभी में हो रहा है?
दोनों तरफ से मर्यादा होनी चाहिए। हो क्या गया है कि बहुत सारे अखबार, पत्रिकाएं, चैनल्स ऐसे हैं, जो कई बार ब्रेकिंग न्यूज,हेडलाइन खबर सच्चाई पता किए बिना दे देते हैं। उससे नुकसान होता है। इसके बावजूद कोई भी दल सत्ता में हो उसको इस तरह के कदम उठाने से पहले बार-बार सोचना चाहिए।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है, संसद में भी और बाहर भी, कि सोशल मीडिया, फेसबुक आपकी कठपुतली हैं? कुछ पत्रकारों की शिकायत है कि उनको देखने वालों, पढ़ने वालों में अचानक गिरावट आई है?
देखिए आईटी मंत्रालय इस पर बेहतर बता सकता है लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि ये हिंदुस्तान में ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। इनके खिलाफ कई राज्यों ने, कई सरकारों ने, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक, सब ने इनके बड़े-बड़े अधिकारियों को बुलाकर जब-तब प्रश्नचिन्ह खड़े किए हैं। आईटी कमेटी का चेयरमैन होते हुए मैंने भी इन प्लेटफॉर्म्स के अधिकारियों को बुलाया था, उनकी सफाई मांगी थी। राहुल जी क्या कहते हैं इसका तो मुझे ज्यादा पता नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने गरीबी देखी है ....
माना जाता है कि मोदी जी और भाजपा का जो कोर 'वोट बैंक' है, जाति से ज्यादा कल्याणकारी योजनाओं का है। बिहार में हमने देखा है कि 59 परसेंट महिलाओं ने आपको वोट किया था, 'कास्ट लाइन' से अलग हटकर। ऐसे में प्रियंका गांधी 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा लेकर आती हैं। 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देती हैं। आप लोगों पर कोई दवाब नहीं बनता?
उनकी 40 फीसदी से ज्यादा पोस्टर गर्ल्स छोड़कर चली गई हैं। उन्होंने गंभीर आरोप लगाए भ्रष्टाचार के कि टिकटें बेच रहे हैं करोड़ों रुपये में। मुझे समझ में नहीं आता कि जिस पार्टी की एक सीट आनी मुश्किल दिख रही है उसके करोड़ रुपये में टिकट कौन खरीद रहा है? महिलाएं भाजपा को इसलिए वोट देती हैं क्योंकि उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है। मोदी जी ने गरीबी देखी है। अपनी मां को यह सब सहते हुए देखा है। इसीलिए भारत की मातृशक्ति के जीवन में बदलाव का काम किया है। गैस के सिलेंडर ने उनको धुएं से मुक्ति दिलाई, पांच लाख का इलाज देकर उनको स्वस्थ रखने का काम किया, हर घर को नल से जल देने का काम किया, जो कांग्रेस 70 साल में नहीं कर पाई। कांग्रेस के समय मनरेगा का 3000 करोड़ का बजट होता था हमने एक लाख 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किया। शौचालय, पक्का मकान, रसोई गैस, अनाज, स्वास्थ्य की सुविधा, पानी, पेंशन ऐसी योजनाएं हैं जो सीधे तौर पर महिलाओं को लाभ देती हैं।
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