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संयुक्त अस्पताल में एंटी रेबीज क्लीनिक खुलेगा, इंजेक्शन लगवाने के लिए भटकते हैं लोग
गाजियाबाद न्यूज़: कुत्ते, बंदर, बिल्ली के काटे हुए लोगों को अब इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं होगी. एक ही छत के नीचे उन्हें इलाज की सुविधा मिलेगी. जिले में जल्द ही एंटी रेबीज क्लीनिक खुलने वाला है. जहां पर कुत्ते काटे के शिकार लोगों का पंजीकरण से लेकर वैक्सीनेशन होगा. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में संजय नगर स्थित संयुक्त अस्पताल से इसकी शुरुआत हो रही है.
संजय नगर स्थित संयुक्त जिला अस्पताल में एंटी रेबीज क्लीनिक की स्थापना के लिए अस्पताल प्रबंधन को अलग कमरे की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए गए हैं. क्लीनिक में रेफ्रिजरेटर, वैक्सीन कैरियर, वेइंग स्केल, बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, कलर डस्टबिन की व्यवस्था रहेगी.
अस्पताल में अलग से डेडीकेटेड स्टाफ रहेगा. स्टाफ में नर्सिंग ऑफिसर, फार्मासिस्ट और वार्ड बॉय शामिल रहेंगे. क्लीनिक में मरीज के रजिस्ट्रेशन के अलावा घाव के धोने के लिए साबुन- पानी की भी व्यवस्था रहेगी. गौर करने वाली बात यह है कि क्लीनिक पर एआरवी के अलावा एंटी रेबीज सीरम की भी उपलब्ध रहेगी.
जिले में फिलहाल एंटी रेबज इंजेक्शन लगवाने के लिए मरीजों को पहले पंजीकरण कराना होता है. फिर डॉक्टर से लिखवाने के बाद ही टीकाकरण कक्ष में एआरवी लगाया जाता है. अस्पतालों में घाव को साफ करने और धोने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.
लावारिस कुत्तों की संख्या 50 हजार के पार मौजूदा समय में लावारिस कुत्तों का आंकड़ा 50 हजार को भी पार कर गया है. वर्ष 2013 से 2019 तक 17,702 कुत्तों की नसबंदी हुई. वर्ष 2020 से 2022 तक महज 304 कुत्तों की नसबंदी हो सकी. कुत्तों की नसबंदी पर नगर निगम अभी तक 90 लाख रुपये खर्च कर चुका हैं.
रोेजाना 800 लोगों को लग रहे हैं एआरवी:
जिले में कुत्तों का आतंक किस कदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त अस्पताल में एंटी रेबीज क्लीनिक खुलेगा 800 लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में कुत्ते काटे के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. इनमें बंदर, बिल्ली और चूहे के काटने के मामले भी शामिल हैं. सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के सीएचसी, पीएचसी, संयुक्त और जिला अस्पताल में प्रतिदिन 400 से 500 लोग एआरवी लगवाने के लिए पहुंचते हैं.
संयुक्त अस्पताल में एंटी रेबीज क्लीनिक अगले 15 दिनों मैं शुरू हो जाएगा. मरीजों के पंजीकरण से लेकर इलाज की पूरी व्यवस्था क्लीनिक में ही मिलेगी.
- डॉक्टर भवतोष शंखधर, सीएमओ