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मेरठ: बिना रिश्वत लिये काम न करना सरकारी विभागों में एक शगल बन गया है। काम सही हो या फिर गलत बिना न्यौछावर के अधिकारी से लेकर कर्मचारी फाइल आगे बढ़ाने को तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टालरेंस की नीति के बावजूद भ्रष्ट कर्मचारी बाज नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि एंटी करप्शन के द्वारा मेरठ के अलावा अन्य जनपदों से पकड़ कर आए भ्रष्ट कर्मचारियों को जमानत के लिये लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और अदालतें इस मामले में सख्त रवैया अपनाये हुए हैं।
दो साल में एंटी करप्शन की टीमों ने दो दर्जन से अधिक मामले पकड़ कर आरोपियो को जेल भेज चुकी है। लखनऊ में तैनात डीआईजी एंटी करप्शन बबलू कुमार के निर्देशन में मेरठ यूनिट की टीमें लगातार भ्रष्टाचारियों को पकड़ने में लगी हुई है। पिछले छह महीने में एंटी करप्शन ने सात सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। किसान मोहब्बत अली अपने खेत की चकरोड को कब्जा मुक्त कराने के लिए चक्कर काट रहा था। एंटी करप्शन की टीम ने सदर तहसील से 5 हजार की रिश्वत लेते हुए लेखपाल को हिरासत में लिया है।
नगर निगम में राजस्व वसूली निरीक्षक नवल सिंह राघव को घूस लेते हुए पकड़ा गया था। एंटी करप्शन टीम ने गंगानगर थाना क्षेत्र से इंस्पेक्टर नवल सिंह राघव पुत्र स्व. उदयवीर सिंह निवासी गंगानगर को 5हजार रुपए की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। हाउस टैक्स सेटलमेंट कराने के लिए पांच हजार रुपए रिश्वत ली थी। लिसाड़ीगेट के लखीपुरा निवासी गुलिफ्शा पुत्री मरहूम नसीरूद्दीन से ने लिसाड़ीगेट थाने में तैनात एचसीपी सुखपाल सिंह राघव रिश्वत मांग रहे थे। एंटी करप्शन टीम ने महिला को कचहरी गेट पर पर बुला लिया।
एचसीपी ने जैसे ही रिश्वत के 15 हजार रुपये लिए, एंटी करप्शन की टीम ने उसे रंगेहाथ दबोच लिया था। गौतम बुद्ध नगर के थाने में तैनात दरोगा गुलाब सिंह को एंटी करप्शन यूनिट ने 4 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। आबकारी विभाग में तैनात लिपिक राजकुमार 5 हजार रुपये की रिश्वत अपने ही विभाग में तैनात एक हेड कांस्टेबल से मांग रहा था, उसे पकड़ा गया।
मवाना क्षेत्र के गांव नासरपुर किसान आसाराम पुत्र महेंद्र सिंह ने फसलों की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगाने के लिए विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। विभाग में पूरी रकम जमा करने के बाद भी जेई कनेक्शन जारी एवं सामग्री देने की एवज में 22 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था। इसे एंटी करप्शन की टीम ने गिरफ्तार किया। जेल की बैरक नंबर 1 ए में एंटी करप्शन के द्वारा पकड़े गए कई कर्मचारी महीनों से जेल की हवा खा रहे हैं।
उनके परिजन तमाम आस लगाए बैंठे हैं लेकिन अदालतों की सख्ती के कारण जमानत मिलनी मुश्किल हो रही है। जेल में बंद एक दर्जन से अधिक बंदियों को सिर्फ तारीख पर तारीख मिल रही है। सरकारी कर्मचारी और अधिकारी रिश्वत लेने के मामले में अदालतों का रवैया अब ज्यादा सख्त हो गया है। कुछ आरोपी तो एक साल से भी अधिक समय से बंद चल रहे हैं।