उत्तर प्रदेश

आठ महीने बाद दी उत्तरकुंजी, पांच सवाल निकले गलत

Admin Delhi 1
9 Aug 2023 10:15 AM GMT
आठ महीने बाद दी उत्तरकुंजी, पांच सवाल निकले गलत
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इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा परीक्षा-2021 के सिविल इंजीनियरिंग विषय के प्रश्नपत्र की उत्तरकुंजी आठ महीने की कानूनी लड़ाई के बाद जारी की है.

एक दिसंबर 2022 को घोषित अंतिम परिणाम से असंतुष्ट शाहपुर नानेमऊ सुल्तानपुर के अभ्यर्थी अतुल कुमार ने उत्तरकुंजी जारी करने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दिसंबर में ही याचिका दायर की थी. लगभग आठ महीने की कानूनी लड़ाई के बाद चार अप्रैल 2022 के हाईकोर्ट के आदेश पर आयोग के उपसचिव सतीश चन्द्र मिश्रा ने तीन अगस्त को अतुल के ई-मेल पर सिविल इंजीनियरिंग विषय की उत्तरकुंजी भेजी है. स्पष्ट है कि आयोग अभी भी उत्तरकुंजी सार्वजनिक नहीं करना चाह रहा.

प्रश्नपत्र के सी सीरीज की उत्तरकुंजी के अनुसार सिविल अभियंत्रण पेपर वन के 125 सवालों में प्रश्नसंख्या 22 व 97 जबकि पेपर टू के 125 प्रश्नों में से प्रश्नसंख्या दो, 20 व 65 गलत थे. जिन्हें आयोग ने निरस्त कर दिया था. हालांकि आयोग ने मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और कृषि इंजीनियरिंग विषय की उत्तरकुंजी अभी भी जारी नहीं की है. इनमें भी गलत प्रश्न पूछे जाने से इनकार नहीं किया जा सकता.

उत्तर प्रदेश ग्रेजुएट इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक सिंह का कहना है कि देशभर के सभी आयोग और भर्ती संस्थाएं परीक्षा के तुरंत बाद उत्तरकुंजी जारी कर देती हैं, लेकिन लोक सेवा आयोग ने अंतिम परिणाम घोषित करने के बाद भी उत्तरकुंजी देना उचित नहीं समझा. जिसके लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा.

283 पदों में से 17 रह गए थे खाली

यूपीपीएससी ने सहायक अभियंता के 283 (271 सामान्य व 12 विशेष चयन) पदों पर भर्ती के लिए सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा परीक्षा-2021 की लिखित परीक्षा 29 मई 2022 को कराई थी. जिसके लिए 92,787 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. 29 सितंबर 2022 को परिणाम घोषित करने के बाद साक्षात्कार कराते हुए एक दिसंबर 2022 को अंतिम परिणाम जारी हुआ था.

180 विशेषज्ञ पैनल से किए जा चुके बाहर

भर्ती परीक्षाओं में गलत सवाल पूछने के अलावा अन्य गड़बड़ी पर आयोग सख्त है. यही कारण है कि आयोग एक साल में 180 विषय विशेषज्ञों को अपने पैनल से बाहर कर चुका है. कुछ दिनों पहले 100 विशेषज्ञों और उससे पहले अगस्त 2022 में 80 विशेषज्ञों को पैनल से बाहर किया गया था.

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