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लखनऊ न्यूज़: अंसल एपीआई का कब्जा नहर पर मिला है. सीबीआई अफसरों की उपस्थिति में प्रशासन और एलडीए की पैमाइश में पुष्टि हुई है. सर्वेक्षण पूरा होने के बाद जिला प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जमीन के संबंध में जिला प्रशासन और एलडीए की रिपोर्ट में मतभेद के बाद संयुक्त सर्वेक्षण कराया गया था.
सीबीआई को सौंपी गई रिपोर्ट में विस्तार से उल्लेख किया गया है कि कहां-कहां कितना कब्जा अवैध रूप से डेवलपर ने कर लिया. साथ ही पुराने गाटों और फसली वर्ष का जिक्र करते हुए जमीन के स्वरूप को समझाया गया है. टोपोग्राफी का कार्य एक संस्था पीसीएस से कराया गया. सरोजनीनगर के एसडीएम सिद्धार्थ को नोडल अधिकारी तैनात किया गया था. राजस्व कर्मियों के अनुसार पूर्व में प्रशासन की ओर से जो रिपोर्ट दी गई थी, पैमाइश में उसी की पुष्टि हुई है. सीबीआई को सौंपी गई रिपोर्ट में अंसल एपीआई की प्लॉटिंग का भी उल्लेख किया गया है.
पैमाइश के लिए लम्बे समय से कवायद चल रही थी. एलडीए और प्रशासन के कर्मियों में मतभेद की वजह से सटीक जानकारी के लिए टोपोग्राफी यानी उपकरणों की मदद से नपाई की गई. नहर पर कब्जे की शिकायत के बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपी थी. यह जमीन एलडीए की परियोजना के सी ब्लॉक में आती है. जिला प्रशासन की सरोजनीनगर तहसील का यह हिस्सा है. आरोप है कि अंसल एपीआई ने ढाई किलोमीटर से अधिक नहर की जमीन पाट दी. वहां पर प्लॉटिंग कर दी.
नहर पर सिर्फ अंसल का अवैध कब्जा ही नहीं, अन्य भी सामने आए हैं. पैमाइश हुई तो स्पष्ट हो गया कि एलडीए में शामिल होने से पहले कितनी सरकारी जमीनें थीं. कुछ और लोगों, संस्थाओं के भी अवैध कब्जे मिले हैं.