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लखनऊ न्यूज़: हजरतगंज कोतवाली क्षेत्र में आजादी से पहले वर्ष 1941 में दाखिल खारिज हो चुकी प्राग नारायण रोड स्थित जमीन फर्जी तरीके से अपने नाम कराने के आरोप में याजदान बिल्डर पर एक और मुकदमा दर्ज कराया गया है. इसमें फाहद याजदानी, सायम याजदानी समेत आठ लोग नामजद किए गए हैं. हजरतगंज पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. याजदान बिल्डर की अलाया बिल्डिंग कुछ दिन पहले ढह गई थी. इसमें कुछ लोग अभी भी फरार चल रहे हैं.
इंस्पेक्टर हजरतगंज अखिलेश मिश्र के मुताबिक एलडीए के नजूल विभाग के अमीन आशीष मौर्य ने बताया कि वर्ष 1941 में प्राग नारायण रोड स्थित एक जमीन का पट्टा बिना अनुमति नवाब अमीनुज्जमानी बेगम के पक्ष में हस्तांतरित कर दिया गया. इसका दाखिल खारिज 1944 को कर दिया गया था. इसे पट्टेदार ने दो भागों में 20, 480 वर्ग फिट और 27,520 वर्ग फिट जमीन अलग-अलग बिना नजूल अधिकारी की अनुमति 16 मार्च, 1964 को हयातउल्ला अंसारी और 1965 को विमला देवी गुप्ता के पक्ष में बेच दी गई. मामला उजागर होने पर 1975 में हयातउल्ला और विमला देवी को नोटिस दी गई. दोनों ने जवाब नहीं दिया. कुछ दिन बाद विमला देवी की मौत हो गई. कथित वारिस पकंज गुप्ता, रेनू जैन, मीनू गुप्ता, रीता अग्रवाल ने नजूल सम्पत्ति को गलत तरीके से याजदान इन्फ्राकन प्रा. लि. के सायन के पक्ष में कर दी गई.
ऐसे हुआ खुलासा: इंटरनेट से पता चला कि इस कम्पनी के डायरेक्टर शराफत अली, फाहद याजदानी, सायम याजदानी, अलीम चौधरी हैं. इससे साफ है कि इन लोगों ने साजिश के तहत इस जमीन का बैनामा अपने नाम करा लिया. आशीष मौर्य की तहरीर पर पकंज गुप्ता, रेनू जैन, मीनू गुप्ता, रीता अग्रवाल, सायम याजदानी, शराफत अली, फहद याजदानी, अलीम चौधरी को नामजद किया गया है.