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इलाहाबाद: भवनों के नए मूल्यांकन के आधार पर नगर निगम ने जंग-ए-आजादी में केंद्र बिंदु रहे भारती भवन पुस्तकालय पर 54 हजार 966 रुपये सालाना गृहकर लगाया है. दो साल का बिल एक लाख 12 हजार 406 रुपये भेजा गया है. इसमें दो हजार 199 रुपये मासिक ब्याज भी लगाया गया है. पुस्तकालय संचालक समझ नहीं पा रहे हैं कि जब बिल दुरुस्त हो गया तो फिर कैसे इतनी राशि हो गई.
पिछले साल जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था, उस समय नगर निगम ने दो लाख 84 हजार 172 रुपये गृहकर का बिल भेजा था. पिछले साल भेजे गए बिल में 2018 से गृहकर बकाया दर्शाया गया था. तब नगर निगम ने 134 साल पुराने भवन पर सालाना 18 हजार 977 रुपये गृहकर प्रस्तावित किया था. 2018 से पहले नगर निगम इस भवन से गृहकर नहीं वसूलता था. पर नगर निगम ने 550 रुपये सालाना गृहकर तय कर दिया. पुस्तकालय के संचालक स्वतंत्र पांडेय ने बताया कि मुख्य कर निर्धारण अधिकारी से मुलाकात करेंगे. पिछले साल बिल में संशोधन किया गया था.
आजादी के आंदोलन में थी महत्वपूर्ण भूमिका
134 साल पुराने भारती भवन पुस्तकालय का स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था. देश की आजादी से पहले जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी को भारती भवन पुस्तकालय से पुस्तकें और उपन्यास पढ़ने के लिए भेजे जाते थे. महादेवी वर्मा, सुमित्रा नंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला यहां घंटों समय व्यतीत करते थे.
नगर महापालिका देती थी अनुदान
भारती भवन पुस्तकालय को इलाहाबाद नगर महापालिका दशकों पहले अनुदान देती था. 1994 तक नगर महापालिका पुस्तकालय को सालाना 15 हजार रुपये अनुदान देती थी. बाद में इसे घटाकर 10 हजार रुपये कर दिया गया. कुछ साल बाद अनुदान बंद कर दिया. प्रदेश सरकार पुस्तकालय को सालाना दो लाख रुपये देती है.