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अनिल त्रिपाठी और आशुतोष पांडे अदालत में सुनवाई के लिए नहीं हुए हाजिर
मथुरा न्यूज़: श्रीकृष्ण जन्मस्थान ईदगाह प्रकरण को लेकर सिविल जज सीनियर डिविजन की अदलात में दायर आठा वादों की सुनवाई हुई. दिनेश शर्मा द्वारा नियम 28 के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र को अदालत ने बहस सुनने के बाद खारिज कर दिया. पवन शास्त्रत्त्ी, आशुतोष पांडे और अनिल त्रिपाठी की ओर से अदालत में कोई उपस्थित नहीं हुआ. अदालत ने सभी मुकदमों की सुनवाई के लिए 25 मई की तिथि निर्धारित की है. रंजना अग्निहोत्री के वाद में अदालत ने प्रतिवादी पक्ष को नकलें दिए जाने के लिए कहा है.
न्यायालय सिविल जज सीनियर डिविजन में शाही मस्जिद ईदगाह और श्री कृष्ण जन्मस्थान से संबंधित आठ मुकदमों में सुनवाई हुई. दिनेश शर्मा के वाद में 7 रूल 11 सीपीसी के तहत मेंटेनेबिलिटी पर बहस होनी थी. उनके अधिवक्ता द्वारा नियम 28 के तहत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया और कहा गया कि शाही मस्जिद ईदगाह द्वारा जो प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है वह मेंटेनेबल नहीं है, इसे निरस्त किया जाए. जिसका शाही मस्जिद ईदगाह पक्ष के अधिवक्ता ने विरोध किया. न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात दिनेश शर्मा द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया और आदेश पारित किया गया कि इस मुकदमे में 7 रूल 11 सीपीसी के तहत पहले सुनवाई होगी.
रंजना अग्निहोत्री वाले वाद में भी सुनवाई हुई, इस वाद में 19 मई 2022 को पारित जिला जज के आदेश को उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया और पत्रावली को सुनवाई के लिए सिविल जज सीनियर डिविजन में वापस भेजा गया. इस वाद में प्रतिवादी पक्ष शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता उपस्थित हुए और वादी पक्ष से नकलों की मांग की. इस न्यायालय ने प्रतिवादी पक्ष को नकलें दिए जाने के आदेश दिए. वादी पक्ष ने प्रतिवादी पक्ष को नकलें प्रदान कीं.
मनीष यादव वाले मामले में 7 रूल 11 सीपीसी के तहत विस्तार से बहस हुई. शाही मस्जिद ईदगाह पक्ष द्वारा पुख्ता दलीलें दी गईं और विधि व्यवस्था भी प्रस्तुत की गई. अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 25 मई की तिथि निर्धारित की गई है. इस दिन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा बहस की जाएगी.
राजेंद्र माहेश्वरी, महेंद्र प्रताप द्वारा प्रस्तुत मुकदमे में भी सुनवाई हुई. शाही मस्जिद के अधिवक्ताओं द्वारा अदालत के समक्ष पक्ष रखा गया. शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव व अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि वाद का रिवीजन दो बार खारिज किया जा चुका है और वादी पक्ष जान बूझकर मुकदमे को टालने की गरज से 7 रूल 11 सीपीसी पर बहस करना नहीं चाहता है.
पवन शास्त्रत्त्ी के वाद में 1 नियम 10 के प्रार्थना पत्र पर बल देने के लिए कोई प्रस्तुत नहीं हुआ. न्यायालय द्वारा उन्हें एक अवसर और प्रदान किया गया. आशुतोष पांडे के वाद में 7 रूल 11 सीपीसी के तहत सुनवाई हेतु नियत थी. शाही मस्जिद के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा. आशुतोष पांडे के ओर से अदालत में सुनवाई के दौरान कोई उपस्थित नहीं हुआ. अनिल त्रिपाठी द्वारा दायर वाद में भी कोई अदालत में उपस्थित नहीं हुआ. जितेंद्र विसेन, शिशिर चतुर्वेदी वाले वाद में दोनों पक्ष अदालत में पेश हुए. अदालत ने प्रतिवादियों को नकलें प्रदान करने के आदेश वादी को दिए. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से शेष सभी वादों में वकालतनामा अदालत में प्रस्तुत किया.
रंजना अग्निहोत्री और शिशिर चतुर्वेदी के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि वाद की सुनवाई अदालत में हुई. प्रतिवादी पक्ष को नकलें प्रदान की गई. अदालत ने सभी आठा वादों की सुनवाई के लिए 25 मई की तिथि निर्धारित की है.