उत्तर प्रदेश

देव स्थान तोड़ने पर गुस्साए ग्रामीणों ने आवास विकास परिषद की टीम को पथराव कर दौड़ाया

Admin Delhi 1
10 Dec 2022 1:53 PM GMT
देव स्थान तोड़ने पर गुस्साए ग्रामीणों ने आवास विकास परिषद की टीम को पथराव कर दौड़ाया
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मेरठ: जागृति विहार एक्सटेंशन में आवास विकास परिषद की ओर से किसानों से जमीन खाली कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान के दूसरे दिन कई घंटे तक बवाल चला। सेक्टर दो में देवस्थान तोड़ने के आरोप के साथ शुरू हुआ हंगामा दोपहर बाद तीन बजे तक चलता रहा। इस बीच किसानों ने परिषद की टीम को दूर तक दौड़ाया, वहीं पुलिस ने किसानों पर लाठियां फटकारते हुए उन्हें खदेड़ने का प्रयास किया और मां-बेटे को हिरासत में लेकर थाने भिजवा दिया।

वहीं इस हंगामे की सूचना पर कई गांवों के सैकड़ों किसान मौके पर पहुंच गए। इस बीच अपर आयुक्त और एसडीएम समेत विभिन्न अधिकारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे, और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास शुरू किया। फिलहाल यह निर्णय लिया गया कि 11 दिसंबर को आवास विकास परिषद कार्यालय में त्रिस्तरीय वार्ता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हल निकलने के प्रयास के बाद आवास विकास परिषद आगामी कार्यवाही अमल में लाएगा।

आवास विकास परिषद के अधिकारियों का कहना है कि मुआवजा लेने के बावजूद किसान धरना दे रहे हैं और कब्जा लेने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। इसी बात को आधार बनाकर परिषद की टीम ने गुरुवार को आलू और सरसों की फसलों पर ट्रैक्टर चलाते हुए करीब 100 एकड़ भूमि पर कब्जा ले लिया और विरोध करने वाले किसानों को ले जाकर थाने में बैठा लिया गया। शुक्रवार सुबह एक बार फिर आवास विकास परिषद की टीम पुलिस बल के साथ सेक्टर दो पहुंची और वहां मौजूद जमीन पर बने निर्माण को ध्वस्त करते हुए कब्जा लेने की कार्रवाई शुरू की।

उस समय मौके पर मौजूद कुछ किसान परिवारों ने विरोध किया, जिन्हे अधिकारियों ने डांट-डपटकर खामोश करने का प्रयास किया, इस बीच किसानों ने टीम पर र्इंट-पत्थर फेंककर अपना आक्रोश जताया, जिसके चलते परिषद की टीम ने अधिकारियों को सूचना देकर बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बल को मौके पर बुला लिया। इस बीच पुलिस ने डंडे फटकारते हुए किसानों को तितर-बितर करते हुए एक विधवा महिला सरोज पत्नी स्व. ओमप्रकाश और उसके पुत्र प्रशांत को पकड़कर मेडिकल थाने भिजवा दिया।

इस घटनाक्रम के बाद स्थिति बिगड़ना शुरू हो गई। देवस्थान ध्वस्त करके जमीन पर कब्जा करने की बात तेजी से आसपास के गांवों में फैलती चली गई, और देखते ही देखते काजीपुर, सराय काजीपुर, घोसीपुर, चंदौड़ी आदि गांवों से सैकड़ों की संख्या में किसान और उनके परिवार की महिलाएं सेक्टर दो पहुंच गए। आवास विकास परिषद के खिलाफ नारेबाजी करते हुए किसानों और महिलाओं ने देवस्थानों का अपमान करने का मुद्दा उठाया। साथ ही गुरुवार को उजाड़ी गई आलू और सरसों की फसल का मुआवजा देने की मांग भी शामिल की गई।

देखते ही देखते मौके पर फोर्स और अधिकारियों की संख्या भी बढ़ती चली गई। इस बीच सेक्टर दो से एकत्र होकर नारेबाजी करते हुए किसान और उनके परिवार की महिलाएं नारेबाजी करते हुए सेक्टर पांच की ओर लगभग दौड़ते हुए कूच करने लगे, जिसे देखकर अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। जिस समय सभी लोग सेक्टर पांच पहुंचे, वहां एक ओर जेसीबी मशीन से खुदाई का काम हो रहा था, वहीं कुछ लोग जमीन को समतल करने का काम कर रहे थे।

शोरशराबा सुनकर और भीड़ को अपनी ओर आते देख काम कर रहे लोग जेसीबी मशीन और अपने उपकरण छोड़कर वहां से भागते इधर-उधर छिप गए। दोपहर बाद तक चलने वाले इस घटनाक्रम के बीच अधिकारियों ने किसान भूमि संघर्ष समिति का नेतृत्व कर रहे भारत भड़ाना, गौरव कुमार, संदीप कुमार, धर्मपाल सिंह, बाबू हुक्म सिंह, टिल्लू, विनोद कुमार, महीपाल सिंह आदि से वार्ता के कई दौर चलाए। इसी बीच रालोद नेता और किसानों के मुआवजे की मांग को लंबे समय से उठा रहे राममेहर सिंह अपने साथियों के साथ धरनास्थल पर पहुंच गए।

घंटों तक चली वार्ता और उच्चाधिकारियों से मिले दिशा-निर्देश के अनुसार सीओ अरविंद चौरसिया ने ऐलान किया कि 11 दिसंबर तक आवास विकास परिषद की ओर से यहां कोई काम नहीं किया जाएगा। किसानों और परिषद के बीच अधिकारियों की मौजूदगी में त्रिस्तरीय वार्ता का आयोजन किया जाएगा। जिसके उपरांत किसान शांत होकर अपने परिवारों के साथ घर लौटने पर सहमत हुए।

मुआवजे की राशि को लेकर है विवाद: जागृति विहार में चल रहे विवाद के विषय में राममेहर सिंह और भारत भड़ाना का कहना है कि आवास विकास परिषद ने अनुबंध के आधार पर किसानों की जमीन ली है। जिनके अलग-अलग गांवों के अनुसार रेट तय कर दिए गए। जिसमें यह भी तय किया गया कि आवास विकास परिषद अगर अतिरिक्त मुआवजा (प्रतिकर) देता है, तो सभी गांव के लोगों को समान अनुपात में मिलेगा। यह नियम के अनुसार है।

घोसीपुर और कमालपुर में यह प्रतिकर दिया गया, जबकि काजीपुर को नहीं दिया गया। 2009 में किए गए इस अनुबंध को आज परिषद के अधिकारी मानने से इन्कार करते हैं, तो किसान भी अपनी भूमि न देने के लिए स्वतंत्र है। किसान नेताओं का कहना है कि जिन किसानों ने मुआवजा लिया ही नहीं, उनसे जमीन छिनने के लिए पुलिस को गुमराह करके कार्रवाई की जा रही है। किसान ऐसा नहीं होने देंगे।

राममेहर सिंह ने कहा कि जब तक इस मामले का निस्तारण नहीं होगा, तब तक परिषद को यहां कोई काम नहीं करने दिया जाएगा। भारत भड़ाना का कहना है कि 666 रुपये प्रति मीटर अतिरिक्त मुआवजा दिए जाने की मांग रखी गई है। इसके अलावा कुछ किसानों ने यह भी कहा कि परिषद ने किसानों को प्लाट देने के नाम पर 10 प्रतिशत भूमि का मुआवजा नहीं बनाया, जबकि केवल पांच प्रतिशत में ही प्लाट देने की बात कही जा रही है। 11 दिसंबर को होने वाली त्रिस्तरीय वार्ता में यह तमाम मुद्दे उठाए जाएंगे।

आवंटियों ने भी मोर्चा खोलने की दी चेतावनी: शुक्रवार को जागृति विहार एक्सटेंशन के पीड़ित आवंटियों ने आपात मीटिंग की, जिसमें विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की गई। आवंटियों ने मीटिंग में कहा कि शासन प्रशासन व आवास विकास परिषद ने दो साल से पिस रहे सैकड़ों आवंटियों पर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है। एक बड़ी शैक्षिक संस्थान के कहने पर केवल चिन्हित भूमि को किसानों से मुक्त करने का असफल प्रयास किया गया है।

आरोप लगाया गया कि पूंजीपतियों के लिए अधिकारी सक्रिय होते हैं, जबकि इसकी कीमत गरीब, बेघर आवंटियों को चुकानी पड़ रही है । आवंटी सुशील कुमार पटेल ने कहा कि जागृति विहार एक्सटेंशन का विकास एक राजनीतिक मुद्दा बनकर रह गया है। उनकी वास्तविक कब्जे की लड़ाई पिछले दो साल से चल रही है। परंतु शासन-प्रशासन स्तर से किसी ने मामले का संज्ञान नहीं लिया है। कहा गया कि सभी दलों के प्रतिनिधिमंडल किसान पक्ष को साध रहे हैं, और गरीब आवंटी को भूले बैठे हैं।

ऐसे में आवंटी स्पष्ट करते हैं कि जिस पार्टी का योगदान आवंटी को तत्काल कब्जा दिलाने में रहेगा, तमाम आवंटी एक बार का मतदान उसके लिए जरूर करेंगे। आवंटियों ने स्पष्ट किया कि जैसा भी शासन प्रशासन व विभाग फैसला ले, उन्हें उससे कोई मतलब नहीं रहेगा। आवंटी को कब्जा नहीं मिला तो अब आवंटी आर-पार की रणनीति पर अमल करेंगे। अर्जुन सिंह, मोंटी तोमर, चन्द्र प्रताप सिंह, संतराम, आरएच गिरी, योगेश राणा आदि मौजूद रहे।

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