उत्तर प्रदेश

एएमयू ने थियेटर व फिल्मी दुनिया को दिए नायाब हीरे, सर सैयद ने लैला का अभिनय का जुटाया था चंदा

Admin Delhi 1
29 March 2023 2:06 PM GMT
एएमयू ने थियेटर व फिल्मी दुनिया को दिए नायाब हीरे, सर सैयद ने लैला का अभिनय का जुटाया था चंदा
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अलीगढ़ न्यूज़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने थियेटर व फिल्मी दुनिया को नायाब हीरे दिये है. जिंहोंने अपाी अदाकारी व कलाकारी से दुनिया को कायल कर दिया. इतना ही नहीं, विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने भी नुमाइश में नाटक का मंचन कर चंदा जुटाया था.

रंगमंच का अलीगढ़ से गहरा नाता रहा है. एएमयू में ड्रामा क्लब की शुरुआत यूं तो 1967 से हुई थी. लेकिन इसकी नींव खुद यूनिवर्सिटी के संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने ही रख दी थी. एएमयू के कल्चरल एजूकेशन सेंटर ने देश में थियेटर को अलग पहचान दिलायी है. यहां से पढ़ाई करने वाले ख्वाजा अहमद अब्बास, राही मासूम रजा, बेगम पारा, खुर्शीद, हबीब तनवीर, कादिर अली बेग, प्रो. मुजीबुर्रहमान, जाहिदा जैदी, साजिदा जैदी, कुदशिया जैदी, नसीर उद्दीन शाह, अनुभव सिन्हा, दिलीप ताहिल, कुलभूषण खरबंदा, फराज हैदर, शारिक, जमा हबीब, इमरान रशीद, सईद आलम के नाम अहम हैं.

एएमयू कल्चरल एजुकेशन सेंटर के डायरेक्टर प्रोफेसर एफएस शिरानी बताते है कि पहले लड़कियों का रोल लड़के ही करते थे. एक बार नुमाइश में लैला मजनू नाटक में जिस लड़के को लैला का रोल अदा करना था वह भाग गया. लैला के गायब होने पर सर सैयद ने खुद लैला बनकर घुंघरू पहन कर मंच पर आकर मंचन किया. उन्होंने कहा था कि मैं दाड़ी व उम्र नहीं छुपा सकता. आप समझ लीजिए कि मैं बूढ़ा सर सैयद नहीं नाजुक सा दिखने वाला लड़का हूं, जो लैला बना खड़ा है. आप जो पैसा लैला को देना चाहते थे, वह मुझे दे दीजिये. जब सर सैयद नाचने लगे तो उस समय के कलक्ट्रेट सेक्सपीयर व मौलाना शिबली ने उन्हें पकड़ लिया और नाचने से रोका. दर्शकों ने तब चंदा भी खूब दिया था.

जूलियस सीजर, शतरंज के मोहरे आदि का हुआ मंचन

एएमयू के कैनेडी हाल में आगरा बाजार, जूलियस सीजर, दरवाजा खोल दो, शतरंज के मोहरे, भंवर, जीरो ऑवर्स, चड्डी पहनकर फूल खिला है, आजाद, इस्मत आपा के नाम आदि नाटक का मंचन हो चुका है. नाटक का मंचन नसीर उद्दीन शाह, गिरीश कर्नाड, टॉम ऑल्टर सरीखे कलाकार कर चुके हैं.

कॉलेज निर्माण को बनायी थी ड्रामाटिक सोसाइटी

एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद खां ने वर्ष 1884 में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के संचालन के लिए ड्रामाटिक सोसाइटी बनाई थी. नुमाइश में स्वयं सर सैयद ने नाटक का मंचन किया है. उनके बाद छात्र नाटक का मंचन करने लगे. 1916 में यूनिवर्सिटी, स्ट्रेची हॉल, मैरिस हॉल, अब्दुल्ला हॉल में नाटक का मंचन होता था.

1940 से 55 तक इन्होंने किया मंचन

सबसे पहले नाटक का मंचन वीएम हॉल में हुआ था. वर्ष 1940 से 1955 तक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व छात्र नाटक का मंचन किया करते थे. प्रो. साजिदा जैदी, प्रो. जायदा जैदी, प्रो. मुनव्वर उर रहमान, हबीब तनवीर, शहादत हसन मंटो, ख्वाजा अहमद आबिदी, तलत महमूद, खुर्शीद, कादिर अल बेग आदि ने मंचन किया. पूर्व उप राष्ट्रपति की पत्नी सलमा अंसारी ने भी इसी हॉल में नाटक की कला सीखी थी.

लाल किले का आखिरी मुशायरा आदि का मंचन

-कैनेडी हॉल में विभिन्न नाटकों में मुगले आजम, अनार कली, करवल कथा, ताजमहल का टेंडर, चरनदास चोर, सर सैयद, रंग नगरी, फुटपाथ, सतरंज के मोहरे, दरवाजे खोल दो, लाल किले का आखिरी मुशायरा आदि शामिल हैं.

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