उत्तर प्रदेश

अयोध्या में एकादशी पर झूलनोत्सव के बीच आज सजेगी फूल बंगले की झांकी, लगेगा 56 भोग

Renuka Sahu
8 Aug 2022 2:35 AM GMT
Amidst the Jhulanotsav on Ekadashi in Ayodhya, the tableau of the flower bungalow will be decorated today, 56 Bhog will be offered
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फाइल फोटो 

'झूलन में आज सज धज के युगल सरकार बैठे हैं..' के आचार्य प्रणीत पदों के गायन के साथ झूलनोत्सव का उल्लास सर्वत्र बिखरने लगा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 'झूलन में आज सज धज के युगल सरकार बैठे हैं..' के आचार्य प्रणीत पदों के गायन के साथ झूलनोत्सव का उल्लास सर्वत्र बिखरने लगा है। हरियाली तीज से जहां खास-खास मंदिरों में झूलन उत्सव का श्रीगणेश हुआ था। वहीं एकादशी के पर्व से अयोध्या के सभी मंदिर उत्सव से आच्छादित हो चुके होंगे। यहां आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ भी पूर्णिमा तक स्थाई रुप से उत्सव का हिस्सा बनेगी। इस बीच यहां सखियों का भी जमावड़ा हो गया है जो मंदिर-मंदिर घूम-घूमकर नृत्य व गायन कर मेलार्थियों के आनंद को बढ़ा रहे हैं।

एकादशी रविवार की रात्रि 11.50 बजे से शुरू होकर सोमवार को रात्रि साढ़े नौ बजे तक रहेगी। तदुपरांत द्वादशी शुरु हो जाएगी। पारण मंगलवार को प्रात: होगा। फिलहाल इस एकादशी के पर्व पर सोमवार को रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के फूल बंगले की झांकी सजाई जाएगी और 56 भोग लगाकर प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा। रामजन्मभूमि ट्रस्ट के संचालन में श्रद्धालुओं की ओर से भी भगवान के भोग लगवाने और उत्सव मनाने की अनुमति है। इसके कारण श्रद्धालु अपनी सुविधानुसार आयोजन करते है। यह व्यवस्था रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री के माध्यम से की जाती है। इसी कड़ी में एकादशी पर की जाने वाली व्यवस्था संकटमोचन हनुमान मंदिर रामघाट हाल्ट के महंत परशुराम दास महाराज की ओर से कराई जाएगी।
आचार्य सरयू सखी की परम्परा में होगी गलबहियां की झांकी
रामजन्मभूमि के दर्शन मार्ग पर स्थित प्राचीन रंगमहल में फिर सोमवार को संतों का समागम होगा। यहां एकादशी के पर्व पर आचार्य परम्परा में विराजमान भगवान की गलबहियां की विशेष झांकी सजाई जाएगी। इसके साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी मध्यरात्रि तक चलेगा। रंगमहल में संस्थापक आचार्य सरयू सखी महाराज की परम्परा का निर्वाह आज भी किया जा रहा है। उसी श्रृंखला में यहां झूलनोत्सव आषाढ़ पूर्णिमा के पर्व से ही शुरुआत हो जाती है। इस साल भी उत्सव आषाढ़ पूर्णिमा को शुरु हुआ था जो कि एक माह यानि सावन पूर्णिमा तक चलता है।
उधर रामजन्मभूमि, कनक भवन, दशरथ राजमहल बड़ा स्थान, रंगमहल, लवकुश मंदिर, करुणानिधान भवन, जगन्नाथ मंदिर, वेद मंदिर, कौशलेश सदन, अशर्फी भवन, तोताद्रि मठ, रामचरित मानस भवन, राजगोपाल मंदिर, सुग्रीव किला, सियाराम किला, सदगुरु सदन, लक्ष्मण किला, रामसखी मंदिर, हनुमत भवन, रसमोद कुंज, बावन मंदिर, हनुमत निवास, हनुमत सदन, हनुमत विजय कुंज, रांची मंदिर, दिव्यकला कुंज, किराड़ मंदिर, जानकी महल, रामवल्लभा कुंंज, मणिराम छावनी, जानकी घाट बड़ास्थान, हनुमान बाग, वैदेही भवन, हनुमान किला, रामकथा कुंज, हनुमंत किला गहोई मंदिर, हरिगोपाल धाम, रामहर्षण कुंज व निर्मोही अखाड़ा सहित अन्य स्थानों में उत्सव चल रहा है।
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