उत्तर प्रदेश

जन के साथ जमीन के लिए भी संजीवनी हैं दलहनी फसलें

Rounak Dey
13 Jun 2023 2:44 PM GMT
जन के साथ जमीन के लिए भी संजीवनी हैं दलहनी फसलें
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मूंग जैसी फसलें हरी खाद के रूप में भी उपयोगी
लखनऊ। शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का सबसे बड़ा स्रोत होने के साथ ही दलहनी फसलें अरहर, मूंग, उड़द, चना एवं मटर आदि भूमि के लिए भी संजीवनी हैं। मूंग जैसी फसल को तो दो-तीन तुड़ाई के बाद खेत में पलट देने से यह हरी खाद का काम करती है। खाद्य सुरक्षा के साथ इनके अन्य लाभों के मद्देनजर ही डबल इंजन (मोदी-योगी) की सरकार इनकी खेती पर खासा जोर दे रही हैं।
किसान इनकी खेती के प्रति प्रोत्साहित हों, इसके लिए केंद्र सरकार ने चंद रोज पहले जिस एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की घोषणा की उनमें भी इन फसलों पर ध्यान दिया गया है। मसलन पिछले साल के मुकाबले मूंग के समर्थन मूल्य में प्रति क्विंटल सर्वाधिक वृद्धि की गई है। 2022-2023 में इसका समर्थन मूल्य 7755 रुपये प्रति क्विंटल था जो 2023-24 में बढाकर 8558 रुपये कर दिया गया। इसी तरह अरहर का मूल्य 6600 से 7000 रुपये और उड़द का 6600 से 6950 रुपये कर दिया गया।दलहन की सभी फसलों की जड़ों में गांठे पाई जाती हैं। इनमें राइजोबियम जीवाणु उपस्थित रहते हैं जो वायुमण्डल से नाइट्रोजन लेकर भूमि को उपलब्ध कराते हैं। भूमि में जीवांश पदार्थ तथा नत्रजन की मात्रा में वृद्धि होती है। इससे दलहनी फसलों के अलावा अगली फसल को भी लाभ होता है।
मूंग एवं उड़द की खेती तो तीनों फसली सीजन रबी, खरीफ एवं जायद में संभव है। यह कम अवधि में होने वाली और सहफसल के लिए भी उपयुक्त है। कम खाद एवं पानी की जरूरत की वजह से इनकी खेती में श्रम एवं संसाधन की बचत होने से संबंधित किसान को प्रोटीन से भरपूर एक फसल मिलने के साथ अतरिक्त फसल के रूप में अतिरिक्त लाभ भी मिलता है। दलहनी फसलों की जड़ों में ग्लोमेलिन प्रोटीन पाया जाता है जो मिट्टी के कणों को जोड़े रखता है। इससे मिट्टी का क्षरण नहीं होता, जल संचयन क्षमता बढ़ती है और मिट्टी का पीएच मान संतुलित रहता है।
किसी न किसी रूप में रुचि के अनुसार दाल लगभग हर घर में हर रोज बनती है। इसलिए बाजार में हरदम इनकी मांग बनी रहती है। उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा सूबा है। सेहत के प्रति बढ़ती जागरुकता एवं बेहतर होती अर्थव्यवस्था के नाते लोगों की बढ़ी आय, आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ाने की वजह बनेगी।
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