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Allahabad: अलीगढ़ के युवक का नाम सामने आने पर एक बार फिर शहर का दवा कारोबार चर्चाओं में
इलाहाबाद: एसटीएफ द्वारा नकली दवा तस्करी में गिरफ्तार युवक द्वारा अलीगढ़ के युवक का नाम सामने आने पर एक बार फिर शहर का दवा कारोबार चर्चाओं में है. यह कहना गलत नहीं कि अपने शहर का दवा कारोबार भी नकली व नशीली दवाओं का गढ़ बना हुआ है. समय समय पर स्थानीय स्तर से लेकर अन्य शहरों व राज्यों की टीमों की कार्रवाई ये गवाही देती हैं. कारोबार के जानकार बताते हैं कि अलीगढ़ के नकली व नशीली दवाओं के कारोबार के तार दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल, आगरा व पूर्वांचल के कुछ शहरों से जुड़े हैं.
इस कारोबार की जड़ में अगर जाएं और पिछले कुछ वर्षों में हुईं कार्रवाई पर गौर करें तो इस कारोबार को अपने शहर में संचालित करने वाले कम ही सामने आते हैं. अधिकांश बार हॉकरों यानि उनके एजेंटों तक ही कार्रवाई सिमट कर रह जाती है. इसके पीछे की वजह है कि दवा का काला कारोबार करने वाले अधिकांश लोग हॉकरों के सहारे ही माल का आयात निर्यात करते हैं. इसलिए जब भी कभी कार्रवाई हुई तो हॉकरों तक ही एजेंसियों का शिकंजा पहुंच पाता है. बहुत कम ही काला कारोबार करने वाले गिरफ्त में आते हैं.
अब तक हुईं ये बड़ी कार्रवाई
2018 में मेरठ में नकली दवाएं पकड़ी गईं. तब उजागर हुआ कि अलीगढ़ से माल गया. 2021 में कानपुर में नकली दवा फैक्टरी पकड़ी गई. उजागर हुआ कि अलीगढ़ के मदार गेट व सासनी गेट इलाके में पैकिंग कर यह माल कानपुर भेजा जाता था. तब छापेमारी हुई. 2022 में पशुओं की नकली दवा बनाने की फैक्टरी क्वार्सी में पकड़ी गई. इसके अलावा बीच बीच में नशीली दवाओं की जीएसटी चोरी व बिना रिकार्ड के खरीफ फरोख्त पर अनगिनत कार्रवाई हुई हैं. अब तक कई करोड़ का माल भी पकड़ा गया है.
ये है नकली दवा कारोबार का ट्रेंड
बाजार में ज्यादा चलन में रहने वाली दवाओं को कमजोर साल्ट से बिना पंजीकरण वाली उत्पादन यूनिटों में बनाया जाता है. फिर हॉकरों के जरिये अच्छी कमीशन के लालच में उन्हें रिटेलरों तक पहुंचाया जाता है. इस कारोबार का पश्चिमी यूपी में सबसे बड़ा गढ़ आगरा है, मगर अपने शहर में भी पूर्व में नकली दवा बनाने की फैक्टरी पकड़ी गई हैं. जानकार बताते हैं कि कोई भी दवा कंपनी रिटेलर को 15-20 फीसद से अधिक मुनाफा नहीं देती. मगर रिटेलर दवा को 20 फीसदी से अधिक छूट पर बेच रहा है तो मान लो नकली है.
ये है नशीली दवा कारोबार का ट्रेंड
बिना डॉक्टर की सलाह के बिक्री प्रतिबंधित व नशे में प्रयोग होने वाली दवाओं का उत्पादन यूनिट से लेकर स्टॉकिस्ट, थोक वितरक और रिटेलर तक को नारकोटिक्स को ब्योरा देना होता है. मगर इस कारोबार में सक्रिय हॉकर जीएसटी चोरी का हवाला देकर स्टॉकिस्ट या थोक वितरक से बिना रिकार्ड दर्ज किए दवाएं लाते हैं. फिर उनकी रिटेलरों के जरिये मुंहमांगी कीमत में बिक्री होती है. जब तक नारकोटिक्स टीम बैच नंबर की जांच करते करते इनकी धरपकड़ में जुटती है.
समय समय पर दवाओं की जांच कराई जाती है, जिनके सैंपल भी प्रयोगशाला भेजे जाते हैं. इस वर्ष में अब तक आठ दवाओं के नमूने फेल हुए हैं. जिनके विक्रेताओं पर कार्रवाई की गईहै. बाकी जांच जारी रहती है.
दीपक लोधी, डीआई.