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Allahabad: ऑटिज्म पीड़ितों की एक हद तक दवाएं करती हैं मदद
इलाहाबाद: ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के इलाज में दवाएं मदद करती हैं लेकिन एक सीमा तक. इसके उपचार का मुख्य आधार मल्टी मॉडल थेरेपी है, जो बच्चों के इलाज के साथ माता-पिता का भी सशक्त बनाती है. यह बात इलाहाबाद विश्वविद्यालय के व्यावहारिक और संज्ञानात्मक विज्ञान केंद्र (सीबीसीएस) एवं इलाहाबाद बाल विकास केंद्र (एसीडीसी) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही.
विशेषज्ञों का मानना है कि लक्षणों में अंतर आटिज्म के लिए ऐसे मानक उपचारों का निर्धारित करना मुश्किल बनाते हैं जो हर बच्चे पर प्रभावशाली रूप से काम करें. उपचार का मुख्य आधार मल्टी मॉडल थेरेपी होता है, जो ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, व्यवहारिक थेरेपी और विशेष शिक्षा की तकनीक पर आधारित है. थेरेपी का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा माता-पिता को सशक्त बनाना है, ताकि वे मनोवैज्ञानिक रूप से घर में रहते हुए भी बच्चे का उपचार कर सकें. एसीडीसी के डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव (बाल मनोचिकित्सक), डॉ. अलका श्रीवास्तव (बाल रोग विशेषज्ञ) ने सीबीसीएस की विभागाध्यक्ष डॉ. भूमिका कर के साथ मिलकर ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के माता-पिता को व्यावहारिक तरीके से ऑटिज्म के लिए ऑक्यूपेशनल और संवेदी एकीकरण उपचारों की तकनीकों के बारे में सिखाया, ताकि इन बच्चों के साथ काम करने वाले लोग सर्वोत्तम तरीके से उनकी मदद कर सकें.
दिल्ली में ऑटिज्म केंद्र ‘थेरेपी फॉर एबिलिटी’ के ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट डॉ. आरएस बग्गा ने इस कार्यशाला का प्रतिनिधत्व किया. इसमें लगभग 70 लोगों ने भाग लिया, जिनमें ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के माता-पिता, मनोवैज्ञानिक, स्पीच थेरेपिस्ट, जियोथेरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट और विशेष शिक्षक शामिल रहे.