उत्तर प्रदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट: 25 हजार से कम नहीं मानी जा सकती गैरकमाऊ की आमदनी

Renuka Sahu
6 Jan 2022 5:52 AM GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट: 25 हजार से कम नहीं मानी जा सकती गैरकमाऊ की आमदनी
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फाइल फोटो 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि दुर्घटना में जान गंवाने वाले किसी परिवार के गैर कमाऊ सदस्य की मानक आमदनी 25 हजार रुपये वार्षिक से कम नहीं मानी जा सकती।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि दुर्घटना में जान गंवाने वाले किसी परिवार के गैर कमाऊ सदस्य की मानक आमदनी 25 हजार रुपये वार्षिक से कम नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वाहन दुर्घटना अधिनियम के शेड्यूल दो में इस संबंध में आवश्यक संशोधन करने का आदेश दिया है इसके बावजूद संशोधन नहीं किया गया।

इसी के साथ कोर्ट ने कानपुर देहात के रूपचंद्र की अर्जी स्वीकारते हुए मोटर वाहन दुर्घटना अधिकरण द्वारा तय किए गए मुआवजे एक लाख 80 हजार रुपये को संशोधित करते हुए पीड़ित परिवार को चार लाख 70 रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है।
अपीलार्थी के सात वर्षीय बेटे की 18 मार्च 2018 को एक ट्रक की चपेट में आने से घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। रूपचंद्र ने दावा प्रस्तुत किया। अधिकरण ने दावा स्वीकार करते हुए मृतक बच्चे की संभावित आमदनी 15 हजार रुपये स्वीकारते हुए कुल एक लाख 80 हजार रुपये मुआवजा तय किया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा है कि गैर कमाऊ सदस्य की संभावित आमदनी 15 हजार रुपये तय करना अनुचित है ।
बचाव का अवसर न देना न्याय के विपरीत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि जांच रिपोर्ट के आधार पर बर्खास्तगी से पहले कर्मचारी को रिपोर्ट की कॉपी देकर बचाव का अवसर न देना नैसर्गिक न्याय के विपरीत है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह एवं न्यायमूर्ति बीआर सिंह की खंडपीठ ने अध्यक्ष महराजगंज नगर पंचायत की अपील को निस्तारित करते हुए दिया है।
खंडपीठ ने एकल पीठ के बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर नियोजक को नए सिरे से कार्यवाही करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि नगर पंचायत ने जांच रिपोर्ट पर कर्मचारी को जवाब दाखिल करने का अवसर न देकर मूलभूत गलती की है।
ड्राइवर-कर्मचारियों के लिए क्या किया,जवाब मांगा
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 108 और 102 एम्बुलेंस में पर्याप्त संख्या में चालक व कर्मचारी बनाए रखने के लिए की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने भारतीय मजदूर संघ उत्तर प्रदेश की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान कई एम्बुलेंस चालक संक्रमित हो गए। यदि ऐसी स्थिति फिर आती है तो उचित एम्बुलेंस सेवा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी सुनिश्चित करना चाहिए। याचिका में मांग की गई कि प्रत्येक एम्बुलेंस के लिए कम से कम तीन ड्राइवर और तीन तकनीकी कर्मचारी तथा उनकी आठ घंटे की नियमित शिफ्ट चाहिए।
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