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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना साक्ष्य के युवक को हत्या और दुष्कर्म के मामले में बरी किया
बस्ती: बिना सबूतों के विचारण न्यायालय द्वारा षी करार दिए गए युवक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या और दुष्कर्म के मामले में बरी कर दिया है. सज़ा के खिला़फ दा़खलि अपील पर ़फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है और हम यह देख कर निराश हैं कि आरोपी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं होने के बावजूद उसे 12 साल तक जेल में रहने के लिए मजबूर किया गया. न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने ननकू सिंह की अपील पर यह फैसला सुनाया.
ननकू सिंह पर वर्ष 2012 में नाबालिग की हत्या और दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं में शाहजहांपुर के जैतीपुर थाने में दर्ज किया गया था. विचारण न्यायालय ने 23 जून 2016 को उसे षी करार देते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने की सज़ा सुनाई. इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई. याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि अपीलकर्ता को मृतका के माता-पिता ने संदेह के आधार पर झूठा फंसाया है. अभियोजन पक्ष की ओर से षसिद्धि के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है. आरोपी ननकू 2012 से जेल में सजा काट रहा है.कोर्ट ने नों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ कोई ठोस सबूत न होने के बाद भी वह 12 साल से जेल में है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ अपराध साबित करने में विफल रहा. ट्रायल कोर्ट ने प्रस्तुत किए गए साक्ष्य का ठीक से मूल्यांकन नहीं किया. अपील स्वीकार करते हुए कोर्ट ने षसिद्धि व सजा के आदेश को रद्द कर दिया है.
हाईकोर्ट में अधिवक्ता कल्याण टिकटों का टोटा: हाईकोर्ट में अधिवक्ता कल्याण टिकटों की कमी हो गई है. इससे वकीलों को याचिकाओं में वकालतनामा दाखिल करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इस स्थिति को देखते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने महानिबंधक को तत्काल अधिवक्ता कल्याण टिकट की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. राम बिहारी पटेल की याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने न्यायालय को इस समस्या से अवगत कराया. अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले के याची ने की अपने सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान की मांग में याचिका दाखिल की थी.