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राम नगरी के रामघाट स्थित आचार्य पीठ तपस्वी छावनी के महंती विवाद को लेकर शनिवार को लगभग 3 घंटे पंचायत चली। पुलिस और प्रशासन के साथ आयोजित इस पंचायत में पहले दोनों पक्षों ने अपने अपने गुबार निकाले, हालांकि बाद में दोनों पक्ष एक राय हो गये। निर्णय लिया कि 12 सितंबर को मंदिर परिसर में केवल भंडारा होगा। महंती का विवाद अदालत को तय करने दिया जाय।
राम नगरी की सबसे पुरातन छावनी तपस्वी छावनी की स्थापना चौदहवीं शताब्दी की बताई जाती है। इस आचार्य पीठ के देश के विभिन्न प्रांतों तथा धार्मिक स्थलों पर शाखाएं हैं। छावनी के महंत सर्वेश्वर दास का 30 अगस्त को निधन होने के बाद से ही महंती के लिए गोलबंदी शुरू हो गई। दोनों पक्षों ने पुलिस प्रशासन से फरियाद कर अपनी मांग रखी थी। प्रकरण को लेकर राम नगरी के साधु संत भी दो पाले में बंट गये। शुक्रवार को मामले में हरिवंश दास उर्फ औलिया बाबा ने इंट्री मारते हुए खुद को 2012 से ही महंत बताया था। प्रकरण अदालत में भी पहुंचा जिसमें सुनवाई सोमवार को होनी है। मामले की नजाकत को देखते हुए जिला प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और शनिवार को दोनों पक्षों के साथ उनके समर्थक साधु-संतों और अन्य धर्माचार्य की अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में एक बैठक बुलाई।
लगभग 3 घंटे चली इस पंचायत में पहले तो दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किया और बीते दिनों में हुई बयानबाजी को लेकर अपनी पीड़ा का इजहार किया, हालांकि धीरे-धीरे माहौल बदला और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों पक्ष उत्तराधिकार अर्थात नये महंत के चयन के विवाद में अदालत का फैसला आने तक इंतजार करने और 12 सितंबर को मंदिर परिसर में केवल भंडारा करने की बात पर सहमत हो गए। राम नगरी के कई धर्माचार्य तथा पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने दोनों पक्षों को पीठ की मर्यादा तथा शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयार कर लिया। शुरु से मुखर रहे महंती के दावेदार परमहंस दास ने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी।
पंचायत में दिलीप दास पक्ष से महंत कमल नयन दास, राम वल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास, निर्मोही अखाड़ा के राजेंद्र दास, महेंद्र प्रधान, कृपालु शरण और परमहंस दास के पक्ष के हनुमानगढ़ी के नंदराम दास, माधव दास, संजय दास, बलराम दास, मामा दास, अवधेश दास समेत अन्य मौजूद रहे।
जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने बताया कि संत-धर्माचार्यों की मौजूदगी में दोनों पक्षों ने सर्वसम्मति से तय किया है कि 12 सितंबर को मंदिर परिसर में केवल भंडारे का कार्यक्रम होगा। जिसमें भोजन पानी की व्यवस्था परमहंस दास तथा दान दक्षिणा व विदाई की व्यवस्था दिलीप दास पक्ष की ओर से किया जाएगा। प्रकरण अदालत में विचाराधीन है, अदालत का फैसला सभी पक्षों को स्वीकार होगा।
न्यूज़ क्रेडिट: अमृतविचार