उत्तर प्रदेश

Aligarh: अदालत में बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्क पूरी तरह से असंगत और कमजोर साबित हुआ

Admindelhi1
28 Jan 2025 6:22 AM GMT
Aligarh: अदालत में बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्क पूरी तरह से असंगत और कमजोर साबित हुआ
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"अदालत ने बचाव पक्ष के दावों को तथ्यहीन मानते हुए न्याय किया"

अलीगढ़: अदालत में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्क पूरी तरह से असंगत और कमजोर साबित हुए. मामले में साक्ष्य समाप्त होने के उपरांत मनोज का बयान धारा 313 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत दर्ज किया गया. मनोज ने आरोपों को खारिज करते हुए हत्या के आरोपों को गलत और मनगढ़ंत बताया. उसका का कहना था कि उसने हत्या नहीं की है. उसे झूठे मामले में फंसाया गया है. उसने दावा किया कि घटना को किसी अज्ञात व्यक्ति ने अंजाम दिया और हत्या के वक्त कोई चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं था.

यह भी कहा कि वादी ने उसकी बेटी उस्मिता का फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनवाई और इलाज की झूठी कहानी गढ़ी. सभी गवाहों के बयान झूठे बताये. उसने कहा कि घटना के समय बेटी स्कूल में थी और उसके किसी चोट का कोई प्रमाण नहीं है. प्राइवेट डॉक्टर से फर्जी मेडिकल बनवाकर धारा 307 को जोड़ा गया. घटना के समय वह बाजार में था और उसकी रायफल और रिवॉल्वर को फर्जी तरीके से बरामदगी के रूप में दिखाया. यही नहीं, मनोज ने जांच रिपोर्ट को गलत और सुनी-सुनाई बातों पर आधारित बताया.

सफाई साक्ष्य का अभाव: मनोज ने सफाई साक्ष्य प्रस्तुत करने की बात कही थी, लेकिन बचाव पक्ष ने किसी भी गवाह को अदालत में पेश नहीं किया. अभियुक्त के तर्क न केवल कमजोर थे, बल्कि उनके समर्थन में कोई ठोस प्रमाण भी नहीं था. साक्ष्य और गवाहों के बयानों ने अभियुक्त के तर्कों को पूरी तरह खारिज कर दिया. अदालत ने बचाव पक्ष के दावों को तथ्यहीन मानते हुए न्याय किया.

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