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अलीगढ़: आईजीआरएस, सीएम पोर्टल पर बंदरों की शिकायतों की भरमार है. नगर निगम दो-चार बंदर पकड़कर शिकायतों को निस्तारित दिखा देता है, लेकिन फीडबैक में शिकायतकर्ता फिर से बंदरों की मौजूदगी की बात कहकर निस्तारित की गई शिकायत को पुनर्जीवित कर देते हैं. शहर के हर इलाके में बंदरों का आतंक है. कोई भी इससे अछूता नहीं है. शिकायतें भी खूब की जा रहीं हैं. जब इनका समाधान नहीं हो पाता है तो लोग आईजीआरएस और सीएम पोर्टल का सहारा लेकर शिकायत करते हैं. वहां भेजी गईं शिकायतों पर नगर निगम कार्रवाई तो तत्काल करता है, लेकिन कुछ बंदर पकड़कर छोड़ दिए जाते हैं. कुछ दिनों में वह फिर से ही उस इलाके में आ जाते हैं. इससे बंदरों का आतंक कम नहीं हो पा रहा है. नगर निगम के अधिकारी भी शिकायतकर्ता के असंतुष्टि वाले फीडबैक से चिंतित हैं. नगर निगम के साथ एक दिक्कत और भी है. उनके पास बंदर पकड़ने के लिए अलग से कोई फंड नहीं है. ज्यादा संख्या में बंदरों को पकड़वाने के लिए बाहरी व्यक्ति को जिम्मेदारी देनी होती है. वह प्रति बंदर पैसे लेता है.
कलक्ट्रेट में खूब मचाया था आतंक: कुछ दिनों पहले कलक्ट्रेट में बंदरों ने खूब आतंक मचाया. यहां अधिकारियों के पास अपनी फरियाद लेकर आए दिव्यांगों के ऊपर तक बंदरों ने हमला बोल दिया. एक-दो को तो काट भी लिया था. यही नहीं संविधान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम समाप्त होने के बाद वहां लगे टैंट को भी बंदरों ने फाड़ दिया. उसके बाद एडीएम प्रोटोकाल प्रशांत तिवारी ने बंदरों को पकड़वाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने धनराशि वाली बात से उन्हें भी अवगत करा दिया. इस पर एडीएम प्रोटोकाल ने डीएफओ से बंदरों को पकड़े जाने के लिए बात की है.
कलक्ट्रेट में दो-ढाई सौ बंदर हैं. पूर्व में इन्हें पकड़ा भी गया. आईजीआरएस में भी बंदरों के आतंक की शिकायतें मिलीं. नगर निगम के अधिकारियों से बात की तो धन आड़े आ गया. अब डीएफओ को कहा गया है कि वह बंदरों को पकड़वाकर कहीं दूर छोड़ें. प्रशांत तिवारी, एडीएम प्रोटोकाल