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अलीगढ़: लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी का अलीगढ़ सीट पर शानदार प्रदर्शन रहा. सपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवार चौ. बिजेंद्र सिंह ने 42.9 फीसदी वोट हासिल किए. बेहतर प्रदर्शन के बाद भी समाजवादी पार्टी अलीगढ़ सीट पर खाता खोलने से चूक गई. सपा के हाथ से जीती हुई बाजी निकल गई. भाजपा उम्मीदवार सतीश गौतम की जिले में नाराजगी का पूरा फायदा सपा-कांग्रेस गठबंधन को मिला. जाट और क्षत्रिय वोट को अपने पाले में करने में गठबंधन उम्मीदवार कामयाब रहे. लेकिन आखिरी समय में सपा उम्मीदवार के हाथ से जीत फिसल गई.
लोकसभा चुनावों में इस बार रिकार्डतोड़ वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं. अभी तक तक समाजवादी पार्टी को पूर्व के लोकसभा चुनावों में 25.5 व 21.3 फीसदी वोट मिला था. 2019 में सपा, बसपा, आरएलडी ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा था, जिसमें 36. 71 फीसदी वोट मिले थे. इस बार सपा व कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसमें 42.9 फीसदी वोट मिला. समाजवादी पार्टी का जनता के बीच इस बार लहर दिखाई दी. भाजपा का विजयी रथ रोकने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस छोड़कर सपा में आए पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह पर दांव खेला था. सपा मुखिया का दांव हद तक सफल भी रहा. सपा यादव, मुस्लिम, जाट, क्षत्रिय वोट हासिल करने में कामयाब रही, जिसके कारण भाजपा को जीतने में नाको चने चबवा दिए.
रालोद प्रमुख जयंत का जाटों पर नहीं दिखा प्रभाव भाजपा में शामिल रालोद प्रमुख जयंत चौधरी का अलीगढ़ सीट पर जाटों पर कोई प्रभाव नहीं दिखा. जाट मतदाताओं ने इस बार जाट उम्मीदवार चौ. बिजेंद्र सिंह का साथ दिया. जयंत ने टप्पल में सभा की थी. लेकिन उनकी सभा काम नहीं आई.
चौ. बिजेंद्र सिंह का पूर्व के लोस चुनावों में प्रदर्शन:
साल मत प्रतिशत
2004 26.4
2009 23.9
2014 5.9
2019 4.37
2024 42.9
चौ. बिजेंद्र सिंह की भावनात्मक अपील कारगर: लोकसभा चुनाव में सपा उम्मीदवार चौ. बिजेंद्र सिंह का इस बार भावनात्मक अपील भी कारगर हुई. चौ. बिजेंद्र सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान रोने से लेकर इकलौते जाट उम्मीदवार को आखिरी बार संसद पहुंचाने की अपील की थी. गांव-गांव जाकर लोगों से कहा था इस इकलौता जाट उम्मीदवार हूं और मेरा आखिरी चुनाव है. इस बार मेरा ख्याल रख लेना. सपा उम्मीदवार की भावनात्मक अपील पर जाट मतदाताओं ने अमल किया.
तीन विधानसभाओं में सपा ने भाजपा को हराया: समाजवादी पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव में जीत को लेकर विश्वस्त थी. गठबंधन की ओर से अखिलेश यादव ने नुमाइश मैदान में रैली की थी, जिसमें नौजवानों, किसानों, बेरोजगारों व मंहगाई के मुद्दे पर डोरे डाले थे. अखिलेश यादव के चुनावी तीर अलीगढ़ लोकसभा चुनाव में सटीक लगे. शहर, कोल व खैर विधानसभा में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को जीत मिली. शहर व कोल में मुस्लिम उम्मीदवार के साथ खैर मे जाट, क्षत्रिय व ब्राहणों का साथ मिला. यही कारण है कि सपा उम्मीदवार ने आखिरी तक पीछा किया. लेकिन अतरौली व बरौली विधानसभा में भाजपा ने बढ़त बनाकर चुनाव जीत लिया.