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Aligarh: कांग्रेस हाथरस कांड के सहारे यूपी में पैर जमाने की कवायद में
अलीगढ़: कांग्रेस एक बार फिर से हाथरस कांड के माध्यम से उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने की कवायद में जुट गई है. नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्स पर हाथरस की घटना का 12 मिनट की डाक्यूमेंट्री के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें प्रदेश सरकार पर भी सीघा हमला बोला गया है.
हाथरस के बूलगढ़ी गांव में सितंबर 2020 की घटना के चार साल बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे को नए सिरे से उठा रही है. एक सप्ताह पहले नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी अचानक से अल सुबह गांव बूलगढ़ी पहुंच जाते हैं और बंद कमरे में पीड़ित परिजनों से बात करते हैं. बाद में अपने सोशल मीडिया हैंडल पर राहुल गांधी ने हाथरस कांड के पीड़ितों की एक भी मांग पूरी न होने तथा उन्हें अपराधियों की तरह रखने पर प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की. राहुल गांधी ने अपने एक्स के हैंडल से पूरी हाथरस की घटना का 12 मिनट की एक डाक्यूमेट्री के रूप में प्रस्तुत की. इस वीडियो में सप्ताह भर पहले राहुल गांधी के बंद कमरे में परिजनों से बातचीत को पूरे विस्तार से दिखाया गया है. यानि राहुल अपनी आईटी टीम को भी कमरे में साथ ले गए थे. सवाल यही उठ रहा है कि आखिर इतने साल बाद कांग्रेस को हाथरस कांड की याद कैसे आई.
संभल भी कांग्रेस की सूची में राहुल गांधी ने हाथरस आने से एक दिन पहले संभल की हिंसा में मारे गए लोगों के परिजिनो ंसे मुलाकात कर संदेश देने का प्रयास किया है. यह सभी कवायद कांग्रेस के पुराने वोट बैंक को वापस लाने की है. यूपी चुनाव में अभी समय है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार कांग्रेस अभी से इसकी तैयारी में जुट गई है. आने वाले समय में मुसलिमों व दलित मतदाताओं में गहरी पैंठ जमाने के लिए कांग्रेस और सपा में जोर आजमाइश देखने को मिल सकती है.
यूपी में नए सिरे से पैर जमाने का प्रयास: इंडिया गठबंधन में लीडरशिप को जिस तरह से बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के समर्थन में सहयोगी दल एकजुट हो रहे हैं, उससे कांग्रेस में बेचैनी पैदा हो गई है. सपा ने भी जिस तरह से ममता बनर्जी की लीडरशिप को हाथों-हाथ लिया, उससे यूपी के दो लड़कों की जोड़ी में कुछ खटास दिख रही है. लोकसभा चुनाव में सपा के सहारे छह सीट जीतने से पार्टी में जोश है, लेकिन सपा के चलते पार्टी अपनी पत्ते ढंग से खोल नहीं पा रही है. उसे डर है कि कहीं खुलकर यूपी में घूमने से सपा से बात न ब़िगड़ जाए.
पुराने वोट बैंक पर नजर: कांग्रेस नए सिरे से हाथरस को उठा रही है तो उसके पीछे कहीं न कहीं दलित वोट बैंक है. सूबे में चुनाव दर चुनाव बसपा के कमजोर प्रदर्शन कई दलों को आगे आने के लिए प्रेरित कर रही है. कांग्रेस भी इसी कवायद में जुटी हुई है. पार्टी का प्रयास है कि जिस तरह से पहले दलित वोट बैंक पूरी तरह से कांग्रेस के पास थे, उसे फिर से लाना. यही कारण है कि आजाद समाज पार्टी भी बसपा के वोट बैंक में सेंघ लगाने का प्रयास कर रही है. यूपी उपचुनाव में उसका मीरापुर और मुरादाबाद कुंदरकी में प्रदर्शन सराहनीय रहा है.