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Aligarh: जेएन मेडिकल कॉलेज में दलालों-एंबुलेंस संचालकों को शह
अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में करीब २६ विभाग संचालित हैं और सभी प्रमुख विभागों में अपने क्षेत्र के नामी विषय विशेषज्ञ मौजूद हैं. जिनके सहारे यहां आने वाले मरीजों को उपचार मिलता है. इसकी ख्याति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अलीगढ़ जनपद सहित आसपास के दस करीब जनपदों से गंभीर मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने के नाम पर यहां रेफर किया जाता है. बात अगर यहां आने वाले मरीजों के वर्ग की करें तो स्वास्थ्य के प्रति लगातार सजग व जागरूक हो रहे लोग अब कम ही सरकारी सेवाओं पर भरोसा करते हैं. शिक्षित या संपन्न वर्ग के लोग निजी क्षेत्र की सेवाओं पर आश्रित हैं. सरकारी सेवाओं पर अशिक्षित, गरीब या कमजोर वर्ग का मरीज ही आश्रित हैं. मतलब साफ है कि यहां वही मरीज आएगा, जो सरकारी सेवा पर आश्रित है.
ओवरलोडिंग बढ़ा रही दलालों की अंधेरगर्दी बेहतर उपचार के लिए यहां ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक में भीड़ रहती है. चूंकि यहां बहुत से विभाग हैं और उपचार सस्ता भी है, इसलिए भी लोग यहां अधिक पहुंचते हैं. पिछले कुछ वर्षों में भीड़ बढ़ने के कारण यहां दलालों की अंधेरगर्दी भी बढ़ती जा रही है.
पहले भी हुई हैं कार्रवाई ऐसा नहीं कि ये सब सिस्टम की नजर में नहीं. समय समय पर कार्रवाई होती रही हैं. स्वास्थ्य विभाग लगातार ऐसे अस्पतालों को सील कर रहा है. तीन वर्ष पहले एंबुलेंस गुटों में गोली चली. तब अस्पताल चला रहे सपा नेता आदि पर मुकदमा भी दर्ज हुआ. इसके बाद दो वर्ष पहले इस एंबुलेंस रैकेट पर पुलिस ने शिकंजा कसा और अपराधियों के संरक्षण में चल रहे एंबुलेंस रैकेट के संचालकों व साथियों को जेल भेजा गया. दो माह पहले भी एडीएम सिटी ने मेडिकल कॉलेज के बाहर खड़े होने वाले एंबुलेंस संचालक दौड़ाए. मगर ये सब चोरी छिपे या एजेंटों के चेहरे बदलकर चलता रहता है. हैरान करने वाली बात है कि मेडिकल कॉलेज पर एक विशेष पुलिस चौकी भी है. उसका स्टाफ भी ये अंधेरगर्दी देखता रहता है. ऐसे में उसकी कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगता है.
ये हैं उदाहरण:
1-सिविल लाइंस में तीन दिन पहले विजयगढ़ के प्रवीन ने मुकदमा दर्ज कराया है. जिसमें उसने साफ कहा है कि एसके मैमोरियल अस्पताल में नौकरी दी. मगर वेतन मांगने पर साफ कहा कि मेडिकल कालेज से मरीज लाओ, यही तुम्हारा काम है. तभी हमारा धंधा चलेगा और तुम्हारा वेतन मिलेगा.
2-जनवरी 2021 में भांकरी के जेडी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में गभाना के एक व्यक्ति की मौत हो गई. इसमें आरोप था कि इस मेडिकल कॉलेज के कुछ कर्मचारी मरीज को आयुष्मान योजना में इलाज के नाम पर एंबुलेंस से ले गए. बाद में मौत होने पर शव फेंक गए. इस मामले में मुकदमा व अन्य विभागीय कार्रवाई हुई थीं.
3-अक्तूबर 2019 में शहर के निजी अस्पताल से रेफर बच्ची की प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की दबंगई ने जान ले ली. मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी के बाहर बच्ची को एंबुलेंस में लेने के लिए वहां के दबंग चालकों ने बाहरी एंबुलेंस चालक से मारपीट की. एक घंटे तक विवाद में बच्ची की मौत हो गई. तक वहां भगदड़ मची.
इन जिलों से आते हैं मरीज
अलीगढ़ जनपद के अलावा मथुरा, हाथरस, एटा, कासगंज, बुलंदशहर, बदायूं, संभल, फर्रुखाबाद तक के मरीज आते हैं यहां.
ऐसे फंसाते हैं मरीजों को
● जो मरीज देहात या सुदूर जिले से इमरजेंसी में आया, तत्काल वेंटिलेटर या आईसीयू की जरूरत पूरी न होने पर उसे निशाना बनाते.
● जिस मरीज के तीमारदार बेहतर उपचार न मिलने को लेकर डॉक्टरों से जूझते नजर आते हैं, उन्हें भी निशाना बनाते हैं.
ठगी के ये भी कुछ माध्यम दवा पर्चा लेकर घूमते तीमारदारों को घेरते एजेंट. दवाओं की पायरेसी का भी चल रहा है बड़ा खेल. पर्चे पर अंकित दवाओं से कहीं अधिक दवा देते.