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आगरा: पुलिस कमिश्नरेट बने दो साल पूरे होने वाले हैं. विवेचना निस्तारण को अभियान चल रहे हैं. ऐसे में हत्याकांड के तीन मुकदमे दाखिल दफ्तर कर दिए गए. उनमें अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई. पुलिस ने माना कि तमाम प्रयासों के बावजूद कोई सुराग नहीं मिला. परिजनों को रह-रहकर एक ही सवाल परेशान कर रहा है आखिर हत्या किसने और क्यों की थी. पुलिस पता क्यों नहीं लगा पाई.
मस्जिद में हत्या में पुलिस खाली हाथ: हाईटेक पुलिस के दावे करने वाले एसीपी ताजगंज सैयद अरीब अहमद के सर्किल में ताजमहल के पूर्वी गेट के पास लकड़हारा मस्जिद में एक महिला की हत्या हुई. फोरेंसिक जांच में सुराग मिले कि हत्या दुराचार के दौरान की गई है. शव निर्वस्त्रत्त् हालत में मिला था. वारदात 19 मई 2024 को हुई थी. ताजमहल के पास ताज सुरक्षा का भी फोर्स रहता है. ताजगंज सर्किल और ताज सुरक्षा के एसीपी सैयद अरीब अहमद हैं. उनके सर्किल की यह सबसे सनसनीखेज वारदात थी. बाइंड मर्डर था. पुलिस इसमें भी अभी तक फेल साबित हुई है.
पांच जून 2022 को अर्जुन नगर (शाहगंज) की सिंधी कालोनी में 55 वर्षीय प्रतिभा कुलश्रेष्ठ का शव मिला था. उनके सिर पर चोट का निशान था. कुंडल, बिछुए, पाजेब गायब थीं. मोबाइल कमरे में मिला था. प्रतिभा भरतपुर से आगरा अपने पैतृक आवास आई थीं. उन्हें मकान किराए पर उठाना था. उनके पति राकेश ने लूट के दौरान हत्या का आरोप लगाया था.
बदल गए कई इंस्पेक्टर
तीन हत्याकांड हुए. इस दौरान शाहगंज थाने में कई इंस्पेक्टर बदले. समरेश सिंह, जितेंद्र कुमार, भानु प्रताप सिंह, आलोक कुमार, अमित मान. सभी ने लगभग इन हत्याकांड के खुलासे के प्रयास किए मगर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे. विवेचना लंबित थीं. अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई.
पीड़ित परिवारों का उठा भरोसा
तीनों मामलों में पीड़ित परिवारों का आगरा पुलिस से भरोसा उठ गया है. उनका आरोप है कि पुलिस ने इन वारदातों के खुलासे के प्रयास नहीं किए. घटना होती है तो खुलती भी है. तीनों मामले एक ही थाने के हैं. इन घटनाओं में खास बात यह थी कि हत्याकांड में कोई अपना शामिल नहीं था. ब्राइंड मर्डर थे.