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Agra: तीन एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन के निर्माण में एनएचएआई का पेंच फ़सा
आगरा: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (यूपीएमआरसी) के पहले कॉरिडोर के तीन एलिवेटेड मेट्रो स्टेशन के निर्माण में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का पेंच फंस गया है. एनएचएआई नागपुर की तर्ज पर सिकंदरा तिराहे पर डबल डेकर वायाडक्ट चाहती है. ताकि सिकंदरा से जाम की समस्या खत्म हो जाए. इसके लिए खर्चा भी वहन को तैयार है.
उनका तर्क है कि मेट्रो निर्माण के बाद सिकंदरा पर भविष्य में यातायात की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी. लेकिन, यूपीएमआरसी प्रोजेक्ट में देरी सहित अपने तर्क पेश कर रही है. यही कारण है कि मेट्रो निर्माण के लिए एनएचएआई से मिलने वाली फाइनल एनओसी अभी तक जारी नहीं हुई है. मामला विचाराधीन है. वाहनों के सुगमता पूर्वक चालन के लिए एनएचएआई ने छह किलोमीटर के दायरे में आठ फ्लाईओवर बनाए हैं. सिकंदरा तिराहे पर फ्लाईओवर प्रस्तावित था. टीम ने निरीक्षण किया. डीपीआर भी बन गई. लेकिन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने एनओसी नहीं दी. फ्लाईओवर की ऊंचाई एवं स्मारक के विजन को लेकर पेच फंस गया. मामला ठंडे बस्ते में चल रहा था. इस बीच आगरा में मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू हो गया. मेट्रो का पहला कॉरिडोर ताजमहल पूर्वी गेट से सिकंदरा तिराहे तक प्रस्तावित हुआ. इसमें सात भूमिगत और छह एलिवेटेड स्टेशन बनने थे. तीन एलिवेटेड आईएसबीटी, गुरुद्वारा गुरु का ताल और सिकंदरा का मेट्रो ने हाल ही में टेंडर किया है. हाइवे के सहारे मेट्रो ने कार्य भी शुरू कर दिया. लेकिन फंस गया. यहां एनएचएआई ने एनओसी रोक दी. मेट्रो के उप महाप्रबंधक जनसंपर्क विभाग पंचानन मिश्रा बताते हैं कि मेट्रो हर कार्य के लिए तैयार है. डबल डेकर वायाडक्ट के लिए धनराशि इत्यादि मिले. वे करने को तैयार हैं. वर्तमान में उनकी टीम बेसिक कार्य करने में जुटी है. बड़े काम अभी रोके हुए हैं. जल्द निर्णय के बाद शुरू करेंगे.
डबल डेकर ही एक मात्र विकल्प: एनएचएआई के इंसीडेंट मैनेजर नरेंद्र चौधरी बताते हैं कि एनएचएआई की टीम गुरुद्वारा गुरु के ताल से सिकंदरा तक डबल डेकर वायाडक्ट निर्माण के लिए निरीक्षण भी कर चुकी है. पहले स्तर पर हाईवे फ्लाईओवर और दूसरे स्तर पर मेट्रो रेल का कॉरिडोर होगा. वर्तमान का मार्ग सिक्स लेन का सर्विस रोड शहर के यातायात को मिलेगा. ये तीन-स्तरीय परिवहन प्रणाली सभी परेशानियों को दूर कर देगी. इसके लिए फ्लाईओवर का खर्चा भी एनएचएआई वहन करने तैयार है. यही कारण है कि रीजनल कार्यालय गाजियाबाद में मेट्रो की फाइनल एनओसी पर विचार-विमर्श जारी है. एनओसी के बाद ही कार्य करने की अनुमति होगी.