उत्तर प्रदेश

Agra: अधिकतर रोगों की जांच रैपिड किटों से हो रही

Admindelhi1
19 Sep 2024 9:57 AM GMT
Agra: अधिकतर रोगों की जांच रैपिड किटों से हो रही
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रैपिड किट से जांच में मनमानी वसूली

आगरा: संक्रामक रोगों का सीजन चल रहा है. डाक्टर के पास मरीजों के पहुंचते ही जेबतराशी शुरू हो जाती है. परामर्श फीस के साथ जांच भी लिखी जा रही हैं. अधिकतर रोगों की जांच रैपिड किटों से हो रही है. इन किटों की असल कीमत बहुत मामूली है. पर पैथोलाजी में इनकी मनमानी कीमत चुकानी पड़ रही है.

इन दिनों फ्लू के साथ डेंगू, मलेरिया व टाइफाइड का प्रकोप है. डाक्टर एहतियात के लिए एचआईवी भी करा रहे हैं. छाती जमने की स्थिति में सीटी स्कैन तक कराया जा रहा है. इसके साथ रक्त की अन्य जांच भी कराई जा रही हैं. इनमें से अधिकतर जांच रैपिड किट से की जा रही हैं. किट थोक दवा बाजार से खरीदी जाती हैं. इनसे नमूने लिए जाते हैं और लैब की मशीनों पर प्रोसेसिंग की जाती है. इस प्रक्रिया में लिक्विड, सीरम का प्रयोग किया जाता है. यहीं से जांच के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं. पैथोलाजी के स्तर के हिसाब से दाम बढ़ते रहते हैं. अगर रेटों का औसत भी देखा जाए तो यह कई गुना अधिक है. किसी भी जांच के सभी पैथोलॉजी पर एक दाम निर्धारित नहीं हैं.

रोग किट के दाम जांच के रेट:

डेंगू 90 रुपए 900-1000 रुपए

टाइफाइड 35 रुपए विडाल 150-200, टाइफाइडाट 250 रुपए

एचआईवी 23 रुपए 300-400 रुपए

मलेरिया 20 रुपए स्लाइड 100, कार्ड 250 रुपए

एचबीएसएजी 10 रुपए 300-400 रुपए

प्रेग्नेंसी किट 05 रुपए रिटेल में 20-30 रुपए

(एक औसत लैब में होने वाली जांच के दाम हैं, यह भिन्न हो सकते हैं.)

प्रेग्नेंसी किट की सर्वाधिक बिक्री

अगर किटों के मार्केट शेयर की बात की जाए तो गर्भावस्था का पता लगाने वाली प्रेग्नेंसी किट सबसे ज्यादा बिकती है. इसकी बिक्री पहले नंबर पर है. कारण यह कि कोई भी इसे मेडिकल स्टोर से खरीद सकता है. दूसरे नंबर पर मलेरिया, तीसरे पर डेंगू, चौथे पर एचआईवी और एचबीएसएजी तथा पांचवें नंबर पर टाइफाइड की किट की बिक्री होती है.

पैथोलाजी लैब ही खरीदती हैं किट

यह किट रिटेलर के पास नहीं रहतीं. थोक बाजार से पैथोलाजी वाले ही खरीदते हैं. क्योंकि इन्हें मशीन में लगाकर जांच की जाती है. इसलिए यह आम लोगों के किसी मतलब की नहीं हैं. आम लोगों के लिए कोरोना काल में कोविड की जांच किट आई थी. लेकिन उसे बंद कर दिया गया है. आम लोगों के लिए खुले मार्केट में अब सिर्फ प्रेग्नेंसी किट है.

इलाकावार भी अलग हैं जांच के दाम

तमाम जांचों का शुल्क सिर्फ पैथोलाजी के स्तर पर ही निर्भर नहीं करता. इलाकों के मुताबिक भी दाम ऊपर-नीचे रहते हैं. जहां अधिक प्रतियोगिता है वहां रेट थोड़े कम हो जाते हैं. कुछ इलाकों में लैब कम हैं, वहां इनके दाम अधिक ही मिलेंगे. डाक्टरों का कमीशन जोड़ दिया जाए तो यह शुल्क और भी अधिक हो जाता है. यानि हर तरफ से जेब को झटका लगना तय मानिए.

कलेक्शन सेंटर में कमीशन का खेल

दिल्ली, मुंबई, गुजरात की कई पैथोलाजी अब आगरा में काम करने लगी हैं. यहां उनके कलैक्शन सेंटर हैं. यह सेंटर मरीजों के नमूनों को कंपनी की प्रयोगशाला में भेजते हैं. लैब में नमूनों की जांच के बाद उसकी रिपोर्ट पीडीएफ फार्म में भेज दी जाती है. कलैक्शन सेंटर इसका प्रिंटआउट मरीज को थमा देता है. इसमें लैब का जांच शुल्क और कलैक्शन सेंटर का कमीशन जोड़कर रेट तय होता है.

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