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Agra: धड़ाधड़ सील कर रहे अवैध इमारतें, ध्वस्त हो रहीं न कंपाउंडिंग
आगरा: शहर में अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के तहत सील की गई इमारतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है. न तो इनका ध्वस्तीकरण हो रहा है और न ही इन्हें कंपाउंड (शमन) किया जा रहा है. निर्माणकर्ता प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं. विकास प्राधिकरण का भी आय का एक स्रोत बंद हो गया है.
शहर में अवैध निर्माणों पर अंकुश लगाने के लिए आगरा विकास प्राधिकरण लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन दूसरा पहलू यह भी कि उतनी ही तेज गति से अवैध निर्माण जारी हैं. इनकी वजह से प्राधिकरण के इंजीनियर भी सवालों के घेरे में रहते हैं. जहां कार्रवाई की गई है, उन्हें अधर में लटका दिया है. प्राधिकरण ने बड़ी संख्या में अवैध निर्माणों को सील किया है. निर्माणकर्ता अपने अवैध निर्माण को कंपाउंड कराने के लिए भटक रहे हैं, लेकिन शमन पर रोक लगी होने के चलते कंपाउंडिंग नहीं हो रही है. जबकि सीलिंग का नियम है कि किसी इमारत को सील करने के 15 दिन के अंदर उसका निस्तारण किया जाए. फिर चाहे उसे कंपाउंड किया जाए या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हो. विकास प्राधिकरण ने एक अप्रैल से 29 तक शहर में अवैध निर्माण के मामलों में कुल 191 नोटिस जारी किए हैं. इनमें करीब 67 भवनों को सील किया गया है, लेकिन एक भी भवन की कंपाउंडिंग नहीं की गई है. 100 से अधिक मामले पिछले वित्तीय वर्ष के हैं. प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक कंपाउंडिंग पर शासन की ओर से रोक लगाई गई है. इसमें संशोधन भी हुआ, लेकिन संशोधित आदेश नहीं आने की वजह से फिलहाल कंपाउंडिंग की प्रक्रिया बंद है.
कंपाउंडिंग के संबंध में शासन से संशोधित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. इसकी वजह से कंपाउंडिंग की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. आदेश मिलते ही कंपाउंडिंग शुरू कर दी जाएगी.
श्रद्धा शांडिल्यायन, सचिव आगरा विकास प्राधिकरण
ये हो गया था संशोधन
विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक हाईकोर्ट ने शमन पर रोक लगाई थी. इसके बाद संशोधन आदेश भी आया था, जिसके तहत ऐसे भवनों को कंपाउंड किया जा सकता है जिनका मानचित्र स्वीकृत है और उसमें किया गया अवैध निर्माण शमनीय की श्रेणी में आता है. अन्य किसी अवैध निर्माण को फिलहाल शमन नहीं किया जा सकता है, लेकिन शासन से इसके संबंध में संशोधन आदेश प्राप्त नहीं हुआ है.
प्राधिकरण की आय पर लगा ब्रेक: आगरा विकास प्राधिकरण की माली हालात पहले ही खस्ता है. पथकर के बाद कंपाउंडिंग (शमन शुल्क) प्राधिकरण की आय का अहम स्रोत है. पिछले कई महीनों से कंपाउंडिंग पर रोक लगी है. इसकी वजह से प्राधिकरण की आय पर भी ब्रेक लग गया है. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शमन शुल्क के रूप में प्राधिकरण को औसतन मासिक के रूप में दो से तीन करोड़ रुपये की आमदनी हो जाती थी.