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Agra: ऑन लाइन गेमिंग और बेटिंग एप से करोड़ों की ठगी के तार आगरा से जुड़े
आगरा: ऑन लाइन गेमिंग और बेटिंग एप से करोड़ों की ठगी के तार आगरा से जुड़े निकले हैं. गैंग को किराए के खाते मुहैया कराने वाले युवकों को ट्रांसयमुना पुलिस ने पकड़ा है.
आरोपित गरीब लोगों को जाल में फंसाते थे. सरकारी योजना का लाभ दिलाने का झांसा देते थे. पहले उनके नाम से फर्जी कंपनी बनाते थे. बैंक में चालू खाता खुलवाते थे. इसके एवज में उन्हें 25 से 50 हजार रुपये तक देते थे. खातों में सात दिन साइबर ठगी की रकम आती थी. शिकायत पर खाता ब्लाक होता था तो पुलिस खाता धारक के पास पहुंचती थी. जिसे यह अंदाजा नहीं था कि ठगी के लिए उसे मोहरा बनाया गया है. डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि ऑन लाइन और बेटिंग एप में शुरू में युवाओं को जिताया जाता है. जब वे बड़ी रकम लगा देते हैं तो उनके साथ ठगी हो जाती है. ऑनलाइन गेमिंग और बेटिंग के समय रकम भी ऑनलाइन ट्रांसफर करनी होती है. इसके लिए खातों की जरूरत पड़ती है. पुलिस ने जिन युवकों को पकड़ा है उनका काम सिर्फ खाते मुहैया कराना था. आरोपियों को खाते में आने वाली रकम का प्रतिशत मिला करता था. आरोपियों मे युवक पूर्व में बैंक कर्मचारी रहा है. कई मामलों में खाताधारकों के पास जीएसटी के नोटिस भी पहुंचे.
इनकी हुई गिरफ्तारी: चंदननगर, नराइच निवासी ऋषभ जादौन, मिलाप सिंह (सती नगर, नराइच) व रितिक लाली भंडारा, महाराष्ट्र को पकड़ा गया है. मिलाप सिंह मूलत ग्राम गढ़वार, बाह का निवासी है. आरोपियों के पास से 11 सिमकार्ड, चेक बुक, नौ एटीएम कार्ड, आईडी, मोबाइल और 24500 रुपये मिले हैं.
पत्नी के नाम से खाता: मिलाप सिंह फंसता नहीं. उसने लालच में आकर अपनी पत्नी के नाम से भी खाता खुलवा दिया था. उसका कमीशन भी लेता था. इसी खाते के जरिए पुलिस को उसके बारे में जानकारी हुई. आरोपित रितिक पूर्व में बैंक में कर्मचारी रहा है. उसे बैंक की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी है.
गरीबों की आईडी पर लेते थे सिमकार्ड: ऑन लाइन ठगी के लिए सिमकार्ड की भी जरूरत पड़ती है. पुलिस ने बताया कि आरोपित जिनके खाते खुलवाते थे उनकी आईडी पर सिमकार्ड भी लिया करते थे. उसे भी साइबर ठगों तक पहुंचाया करते थे. इसके एवज में उन्हें कमीशन मिला करता था. एसओ ट्रांसयमुना सुमनेश विकल ने बताया कि आरोपियों से लंबी पूछताछ हुई. उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि उनका का खाते खुलवाने का था. खातों की जानकारी वे संतोष को दिया करते थे. संतोष आगे किसे देता था उन्हें नहीं पता. पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल जब्त किए हैं. उनका डाटा खंगाला जा रहा है.