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आगरा विकास प्राधिकरण किसानों को चेक नहीं ड्राफ्ट देगा
आगरा: आगरा विकास प्राधिकरण की ग्वालियर रोड (ककुआ भांडई) पर प्रस्तावित टाउनशिप की जमीन खरीद के लिए किसान को भुगतान के दिए गए चेक के बाउंस होने मामले का अधिकारियों ने हल निकाल लिया. उन्होंने किसान से संपर्क कर उसके खाते में करीब एक करोड़ रुपये ट्रांसफर करा दिए हैं. काश्तकार ने इस पर संतुष्टि जाहिर की है. भविष्य में अब विकास प्राधिकरण चेक जारी करने के बजाए ड्राफ्ट के माध्यम से किसानों को भुगतान करेगा.
विकास प्राधिकरण ने को पहला बैनामा कराते हुए काश्तकार को एक करोड़, चार हजार रुपये का चेक दिया था. किसान ने अपने खाते में को ही चेक लगा दिया था लेकिन बैंक ने चेक वापस (बाउंस) कर दिया. इससे किसान परिवार के होश उड़ गए तो विकास प्राधिकरण में भी हडकंप मच गया था. अधिकारी परेशान थे कि जिस खाते का चेक दिया था उसमें करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि थी. फिर चेक बाउंस कैसे हो गया. पता चला था कि किसान ने बैंक में चेक लगाने से पहले पीपीएस फार्म नहीं भरा था जिसकी वजह से कैनरा बैंक की मुख्य शाखा ने एडवाइज नाट रिसीव की वजह से चेक वापस कर दिया था.
आनंद कुंज बोदला निवासी काश्तकार निहालेंद्र कुमार राणा ने करीब 0.1191 हेक्टेयर जमीन का बैनामा प्राधिकरण के हक में किया था. इसके एवज में प्राधिकरण ने बैंक आफ इंडिया का 1,00,04,400.00 (एक करोड़, चार हजार चार सौ रुपये) का चेक दिया था. प्राधिकरण के अधिकारियों ने किसान से संपर्क किया और उसे बुलाकर आरटीजीएस माध्यम से धनराशि ट्रांसफर कर दी है. इस संबंध में मुख्य कोषाधिकारी रीता सचान ने बताया कि एडीए की कोई गलती नहीं थी. आरबीआई की गाइड लाइन के मुताबिक पांच लाख से ऊपर का चेक होने पर पास किया जाए अथवा नहीं के बारे में पूछा जाता है. किसान को भेजे गए संदेश में भी यही लिखा है कि एडवाइस नॉट रिसीव्ड. यानी चेक बाउंस नहीं हुआ था. किसान के खाते में पैसा पहुंच गया है.
चेक बाउंस नहीं हुआ था, कुछ तकनीकी गड़बड़ी से वजह से किसान का चेक क्लियर नहीं हुआ था लेकिन अब आरटीजीएस के माध्यम से पैसा ट्रांसफर कर दिया है. अब ड्राफ्ट के माध्यम से किसानों को पैसा दिया जाएगा.
श्रद्धा शांडिल्यायन, सचिव एडीए
विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने मेरी समस्या का हल करा दिया है. आरटीजीएस के माध्मय से मेरे खाते में पैसा चला गया है. इसकी मुझे तस्दीक भी करा दी है. चेक लौटने की वजह से मैं परेशान था लेकिन अब कोई शिकायत नहीं है.
निहालेंद्र कुमार राणा, काश्तकार