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धार्मिक रंग देने की साजिश
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : कोर्ट की निगरानी में खोलकर वीडियोग्राफी की जाए : प्रो. नदीम रिजवी,
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर नदीम रिजवी ने ताजमहल को धार्मिक रंग दिए जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि 300 साल तक ताजमहल के तहखाने और बाकी हिस्से खुले रहे। कई पीढ़ियों ने इसे देख लिया। कोई चिह्न यहां नहीं है।ताज के जो हिस्से बंद किए, वह धार्मिक कारणों से नहीं किये गए, बल्कि ताज में भीड़ और सुरक्षा कारणों से किए गए। स्मारक की संरक्षा और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एएसआई ने पूरे देश में स्मारकों के कुछ हिस्सों को बंद किया। प्रो. रिजवी ने कहा कि ताज के तहखाने खोलने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन यह कोर्ट की निगरानी में खोले जाएं और वीडियोग्राफी की जाए। तहखाने खोलने के बाद यह डर है कि कहीं कोई मूर्ति न रख दे और विवाद स्थायी हो जाए।
धार्मिक रंग देने की साजिश
ताजमहल जैसी विश्व धरोहर को धार्मिक रंग देने की साजिश हो रही है। मैं नहीं चाहता कि तहखाने खोले जाएं। उसका कोई प्रयोजन तो हो। यह जिस मकसद से मांग की जा रही है, वह गलत है। कोई भी कहीं से आकर मांग करेगा और उस पर आदेश हों, यह गलत है। - प्रो. इरफान हबीब, एएमयू
वीडियोग्राफी कराई जाए
ताजमहल के तहखानों के सर्वे में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। एक बार वीडियोग्राफी करा ली जाए तो विवाद समाप्त हो जाएंगे। पर्यटकों के लिए तहखाने खोलना आर्कियोलोजी के मुताबिक मुमकिन नहीं है। - प्रो. सुगम आनंद, आंबेडकर विवि
ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने की याचिका पर हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी है, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और देश के नामी गिरामी संस्थानों के लिए तहखाना कई बार खुला है। ताजमहल की मजबूती परखने के लिए समय-समय पर तहखाने में जाकर इसका सर्वे किया गया है।एएसआई ने 16 साल पहले तहखाने का संरक्षण कराया था, लेकिन इसकी मजबूती परखने के लिए नेशनल जियोग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और रुड़की विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में सर्वे कराया था, जिसमें ताजमहल के तहखाने की दीवार तीन मीटर मोटी बताई गई और मुख्य गुंबद पर असली कब्रों के नीचे का हिस्सा ठोस बताया गया। रुड़की विश्वविद्यालय ने इस सर्वे में इलेक्ट्रिकल, मैग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक, शीयर वेब स्टडी और ग्रेविटी एंड जियो रडार तकनीक का उपयोग किया था।
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